भारत की पहली अंतरिम सरकार की 109वीं वर्षगांठ पर हुआ भव्य आयोजन
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उप राष्ट्रपति धनखड़ ने राजा महेंद्र प्रताप को दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान लेकिन कम पहचाने गए नायक, राजा महेंद्र प्रताप की अविस्मरणीय विरासत को आज नई दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। यह आयोजन भारत की पहली अंतरिम सरकार की स्थापना की 109वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया, जिसे 1 दिसंबर 1915 को काबुल में राजा महेंद्र प्रताप ने स्थापित किया था।
राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति डॉ. जगदीप धनखड़ ने राजा महेंद्र प्रताप के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी योगदान को याद किया और उनकी सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने राजा महेंद्र प्रताप को स्वतंत्रता के संघर्ष में एक सच्चे पथप्रदर्शक के रूप में वर्णित किया।
"राजा महेंद्र प्रताप का साहस, बुद्धिमत्ता और स्वतंत्रता के प्रति उनका अटूट समर्पण अदवितीय था, धनखड़ ने
कहा। "भारत की पहली अंतरिम सरकार की स्थापना केवल एक राजनीतिक कदम नहीं थी, बल्कि हमारी राष्ट्रीय पहचान का दृढ़ उद्घोष था। उनकी कहानी को उजागर करना और उनकी विरासत को सम्मानित करना हमारा सामूहिक दायित्व है।"
कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. विवेक सिंह द्वारा लिखित पुस्तक द लास्ट किंग का विमोचन भी किया गया। यह पुस्तक राजा महेंद्र प्रताप के असाधारण जीवन को दर्शाती है, जिसमें उनके क्रांतिकारी प्रयास,
कूटनीतिक गतिविधियां और स्वतंत्र एवं एकीकृत भारत के प्रति उनकी अडिग दृष्टि को शामिल किया गया है। पुस्तक के विमोचन पर डॉ. सिंह ने कहा, "राजा महेंद्र प्रताप केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी राजनेता, समाज सुधारक और वैश्विक विचारक थे। उनका जीवन हमें धैर्य, दृष्टिकोण और न्याय के लिए निरंतर प्रयास का पाठ पढाता है।"
109वीं वर्षगांठ के इस आयोजन में कई गणमान्य व्यक्ति, विद्वान और नीति निर्माता शामिल हए, जिन्होंने इस
महान नेता की विरासत पर विचार साझा किए। राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन ने उनकी स्मृति को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और शैक्षिक पहलों एवं जनजागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से उनके योगदान को बढ़ावा देने का वादा किया।
भारत की पहली अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति के रूप में राजा महेंद्र प्रताप ने स्वतंत्रता, एकता और समाज सुधार के आदर्शों के प्रति अटूट समर्पण का परिचय दिया। स्वतंत्रता के लिए अपने 32 वर्षों के निर्वासन के दौरान उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आज़ादी के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की, जो उनकी असाधारण दृढ़ता का प्रमाण है।
"राजा महेंद्र प्रताप की विरासत केवल अतीत की बात नहीं है; यह भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन हमें उन बलिदानों और दूरदर्शी नेतृत्व की याद दिलाता है जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी।" डॉ. सिंह ने कहा
कार्यक्रम का समापन इस आह्वान के साथ हआ कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों का सम्मान और उनकी कहानियों को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएं, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें।