परमाणु सुरक्षा के अनुप्रयोग - खोज उपकरण और कार्यप्रणाली पर हुई कार्यशाला

परमाणु सुरक्षा के अनुप्रयोग - खोज उपकरण और कार्यप्रणाली पर हुई कार्यशाला

नोएडा। शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को परमाणु सुरक्षा के महत्व की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा ‘‘ परमाणु सुरक्षा के अनुप्रयोग - खोज उपकरण और कार्यप्रणाली’’ विषय पर दो दिवसीय उन्नत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग - परमाणु ऊर्जा विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान संकुल इंदौर के पूर्व निदेशक डा ए के सिन्हा, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, सेंटर फॉर न्यूक्लियर सिक्योरिटी सांइस एंड पॉलिसी इंनिशिएटिव के उप निदेशक डा क्रेग मारियानो और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की निदेशक डा अल्पना गोयल द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में यूपीईएस देहरादून, मोदी विश्वविद्यालय, आईआईटी, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आदि से 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग - परमाणु ऊर्जा विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान संकुल इंदौर के पूर्व निदेशक डा ए के सिन्हा ने परमाणु विकिरणों की उत्पत्ति के बारे में बताते हुए नाभकीय भौतिकी के जनक ई रूदरफोर्ड के प्रयोग सहित उनके विकास के बारे में जानकारी दी। विकिरणों का उपयोग धातु की जांच, रोगों की जांच, औषधियों का निर्माण आदि क्षेत्रों में होता है इसके सहित हमें परमाणु उर्जा की शक्ति के बारे मे भी पता चला। डा सिन्हा ने कहा कि किसी भी संभावित परमाणु दुर्घटना से निपटने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए हमें परमाणु खोज, विकिरण, जीव विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, रिमोट, रोबोटिक नियंत्रण और हैडलिंग, आधुनिक संचार पद्धति, और अन्य क्षेत्रं का उपयोग करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें स्थापित प्रोटोकॉल और कार्यप्रणाली सहित आवश्यक तकनीको के साथ तैयार रहने की आवश्यकता है जिसमें विकिरण की प्रकृति की त्वरित एवं स्पष्ट पहचान, विकिरण के प्रभावों को कम करने या बेअसर करने के तरीकों पर विचार करना और सकल समाजिक जागरूकता और प्रशिक्षण के लिए एक जुट कार्यक्रम आवश्यक है। उन्होनें कहा कि एमिटी में आयोजित इस प्रकार की कार्यशालाओं से प्रतिभागी अवश्य लाभांवित होगें।

टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर न्यूक्लियर सिक्योरिटी सांइस एंड पॉलिसी इंनिशिएटिव के उप निदेशक डा क्रेग मारियानो ने कहा कि हम रेडियशन की बजाय परमाणु सुरक्षा की बात करते है जिसमें हम विज्ञान को सुरक्षा मे किस प्रकार सहायक बना सकते है, यह सर्वाधिक महत्चपूर्ण है। विज्ञान को शिक्षण के रूचि पूर्ण तरीकों से जोड़ना चाहिए जिससे हम इस प्रकार की कार्यशालाओं को सुरूचि पूर्ण बना सके और प्रतिभागी हिस्सा लेेते हुए अधिक से अधिक प्रश्न पूछें और सीखें।

एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस उन्नत कार्यशाला का उददेश्य परमाणु सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिभागियों को रेडिएशन डिटेक्शन मैकेनिस्म, हैंडस ऑन ट्रेनिंग प्रदान करना है। रेडिएशन डिटेक्शन सिस्टम किसी भी प्रकार के दुर्भावनापूर्ण कार्य का पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिए परमाणु सुरक्षा प्रणालियों का अभिन्न अंग है। ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों का होना महत्वपूर्ण है जो विभिन्न विकिरण पहचान प्रणालियों को संभाल सकें और यह शिक्षण और प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

इस कार्यशाला के अंर्तगत ‘‘परमाणु सुरक्षा में उभरती तकनीक’’ विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया जिसमें एचआईटी के प्रो डी दत्ता, आईयूएसी के प्रो आर पी सिंह, जेएनयू के डा पवन कुलेरिया, वीईसीसी के डा कौशिक बैनर्जी, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सलाहकार प्रो ए के जैन ने अपने विचार रखें। इस परिचर्चा सत्र का संचालन वीईसीसी के पूर्व निदेशक डा आर के भंडारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान ‘‘द अनरिसन्ड फियर ऑर रेडियेशन’’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में अर्चना यादव समेत वरिष्ठ शिक्षकगण और वैज्ञानिक मौजूद थे।