भारतीय राजनीति के चेतना सम्पन्न कवि थे बाबा नागार्जुन - रंजू यादव

भारतीय राजनीति के चेतना सम्पन्न कवि थे बाबा नागार्जुन - रंजू यादव

        गाजीपुर। पी० जी० कालेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे भाषा संकाय के हिंदी विषय की शोधार्थिनी रंजू यादव ने अपने शोध शीर्षक "प्रगतिवाद के परिप्रेक्ष्य में नागार्जुन का कथा साहित्य" नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि बाबा नागार्जुन प्रगतिवाद के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। उनका रचनात्मक संसार अत्यंत विपुल और विराट है। युगधारा, सतरंगें पंखों वाली, प्यासी पथराई आंखें, तालाब की मछलियां, हजार-हजार बाॅंहों वाली, भस्मांकुर, रतिनाथ की चाची, बलचनमा, नयी पौध, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे, चित्रा, पत्रहीन नग्न गाछ, पका है कटहल, आदि उनकी प्रमुख रचनायें है। बाबा नागार्जुन जीवन भर शोषण, अत्याचार के खिलाफ अपनी साहित्यिक लड़ाई लड़ते रहे बलचनमा, बाबा बटेसरनाथ वरुण के बेटे,रतिनाथ की चाची इनकी कालजयी औपन्यासिक कृतियाँ हैं। हरिजन गाथा नागर्जुन की कालजयी रचनाओं में से एक है, यह सवर्णों द्वारा दलितों के खिलाफ शोषण और अत्याचार के खिलाफ प्रामाणिक दस्तावेज है। नागार्जुन भारतीय राजनीति के चेतना सम्पन्न कवि थे और आजाद भारत के राजनेताओं की कड़ी आलोचना करते हैं। उन्हें आधुनिक युग का कबीर भी कहा जाता है। नागार्जुन ने बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर काफी प्रचार प्रसार किया। अंतिम समय मे इन्होंने मार्क्सवाद को स्वीकार कर लिया था। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी रंजू यादव ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, शोध निर्देशक डॉ० संजय कुमार सुमन एवं हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दूबे , प्रोफे० (डॉ०) सुनील कुमार, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० राम दुलारे, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० हरेन्द्र सिंह, डॉ० धर्मेंद्र निषाद, डॉ० मनोज कुमार मिश्र, डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र- छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दुबे ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने किया।