रामायण पर मिथिला की 37 महिला कलाकारों की प्रदर्शनी 6 से 12 अप्रैल तक दिल्ली में

मधुबनी कला केंद्र की संस्थापक और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार मनीषा झा ने बिहार के मिथिला क्षेत्र के अलग-अलग भागों में रहने वाली 37 महिला चित्रकारों की 100 दुर्लभ पेटिंग्स का संकलन किया है। दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी में 6 अप्रैल 2024 से 12 अप्रैल 2024 तक इन पेटिंग्स का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस अनोखी प्रदर्शनी में मशहूर चित्रकारों की 100 के करीब कभी न देखी गई पेंटिग्स का प्रदर्शन किया जाएगा। इन कलाकारों में पदमश्री पुरस्कार विजेता जगदंबा देवी, गोदावरी दत्ता, बउआ देवी, दुलारी देवी के साथ फन में माहिर वरिष्ठ चित्रकारों जैसे बिमला दत्ता, गोपाल साहा की पेंटिग्स का प्रदर्शन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी का आयोजन मिथिला की समृद्ध लोककला की परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदर्शनी से मिथिला क्षेत्र की निवासी इन महिलाओं की शानदार पेंटिंग्स के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। इससे मिथिला की महिलाओं को अपनी पारंपरिक कला को जारी रखने के लिए आर्थिक दृष्टि से कुछ लाभ हो सके।
मिथिला पेंटिंग्स की पौराणिक उत्पत्ति का मूल रामायण महाकाव्य के बालकांड में देखा जा सकता है, जिसमें महाराजा जनक का जिक्र किया गया है। महाकाव्य रामायण के बाल कांड में यह वर्णन किया गया है कि महाराजा जनक ने राजकुमारी सीता के विवाह के दौरान अपने सभी नगरिकों को इन पेंटिंग्स को दीवार पर सजाने के आदेश दिए थे।
रामायण को हमेशा राम, रावण और सीता की कहानी के रूप में देखा जाता है, पर इनमें कई अन्य महिला चरित्रों ने रामायण महाकाव्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देवी सीता के अलावा रामायण में कई मशहूर महिला किरदार हैं। उनमें उर्मिला, अहिल्या, सुमित्रा, कैकेयी, शबरी, शूपर्णखा, मदोदरी, तारा, त्रिजटा सुलोचना (इंद्रजीत की पत्नी) , रूमा (सुग्रीव की पत्नी) और शांता (भगवान राम की बड़ी बहन) समेत कई अन्य महिला कलाकार है। पेटिंग्स की यह प्रदर्शनी उनके सूक्ष्म नजरिए और मानव जीवन की गहरी समझ को भी प्रदर्शित करेंगी।