फोर्टिस ने हृदय के रक्तप्रवाह में रुकावट से ग्रस्त 70 वर्षीय मरीज की हाइ-रिस्क टीएवीआर प्रक्रिया को दिया अंजाम

फोर्टिस ने हृदय के रक्तप्रवाह में रुकावट से ग्रस्त 70 वर्षीय मरीज की हाइ-रिस्क टीएवीआर प्रक्रिया को दिया अंजाम

मरीज को थी बार-बार हार्ट फेल की समस्या 

नोएडा: फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने 70 साल की एक बुजुर्ग महिला मरीज, जो कि हार्ट वाल्व में संकुचन के कारण रक्तप्रवाह में रुकावट की समस्या से जूझ रही थी, का सफल उपचार किया है। डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मरीज के इलाज के लिए 2 घंटे तक चली चुनौतीपूर्ण ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) प्रक्रिया को अंजाम दिया। मरीज को दो दिन बाद ही स्थिर हालत के बाद, बिना किसी न्यूरोलॉजिकल और कार्डियाक जटिलताओं के, अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 

मरीज को बार-बार हार्ट फेल होने की शिकायत थी, और साथ ही सांस उखड़ने, फेफड़ों में कंजेशन, चलने-फिरने में असमर्थता तथा थकान की शिकायत भी रहती थी। फोर्टिस नोएडा में भर्ती कराने पर, मरीज की सांस उखड़ने लगी थी और वह लगभग कॉलेप्स होने को थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में तत्काल उपचार के लिए ले जाया गया। वहां उनके हार्ट और वाल्व की कंडिशन की जांच के लिए ईसीजी, ईको और ब्लड टेस्ट किया गया जिससे पता चला कि वह गंभीर एओर्टिक स्टेनॉसिस (हार्ट की वाल्व को होने वाले रक्तप्रवाह में रुकावट) से पीड़ित थीं। शुरुआत में, मरीज को करीब एक महीने तक हार्ट फेल रोकने के लिए इंजेक्शन से दवाएं दी गईं। जब कुछ समय बाद उनकी हालत में मामूली सुधार दिखायी दिया, तो डॉक्टरों की टीम ने एकमात्र विकल्प के तौर पर हाइ-रिस्क टीएवीआर प्रक्रिया को अंजाम दिया। 

इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने कहा, “इस मामले में, मरीज का वाल्व क्षेत्र संकुचित था, इसलिए एक टीएवीआर वाल्व को लगाना पड़ा जिसके लिए दो घंटे तक सर्जरी की प्रक्रिया चली जिसके लिए 

मरीज को कम अवधि का जनरल एनेस्थीसिया दिया गया था। यह हाइ-रिस्क सर्जरी थी क्योंकि मरीज पहले से कुछ रोगों जैसे क्रोनिक अस्थमा, कमजोरी और लो हार्ट फंक्शन आदि से ग्रस्त थीं। यदि टीएवीआर प्रक्रिया को समय रहते नहीं किया जाता तो मरीज को कभी भी कार्डियाक अरेस्ट या हार्ट फेल होने की शिकायत हो सकती थी। मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी करने की बजाय टीएवीआर प्रक्रिया का विकल्प चुना गया क्योंकि इस मामले में, मरीज के संकुचित वाल्व की वजह से, ओपन हार्ट सर्जरी घातक साबित हो सकती थी। उल्लेखनीय है कि, 75 साल की उम्र के बाद गंभीर एओर्टिक स्टेनॉसिस की शिकायत 1-2% मामलों में देखी जाती है।”
 
मोहित सिंह, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा, ने कहा, “इस मामले में, मरीज की उम्र, लंबाई और अन्य पुरानी बीमारियों तथा उनकी नाजुक स्थिति को देखते हुए, मल्टी-डिसीप्लीनरी एप्रोच जरूरी थी। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद मेडिकल जांच के आधार पर सफल सर्जरी की बदौलत मरीज की जान बचायी जा सकी। क्लीनिकल विशेषज्ञता और एडवांस टैक्नोलॉजी फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा की प्रमुख खूबियां हैं और हम हमेशा मरीजों का जीवन बचाने तथा सर्वोत्तम क्लीनिकल परिणामों को हासिल करने के लिए उनकी बेहतरीन देखभाल की सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करते हैं।”