उद्योग जगत को भारत में पीपीपी कार्यक्रमों को लागू करने में अग्रणी भूमिका के लिए सामने आना चाहिए
आईआईटी मंडी आईहब और एचसीआई फाउंडेशन द्वारा आयोजित एचआईवीई कॉन्क्लेव 2023 के दौरान डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के वरिष्ठ सलाहकार और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे
एचआईवीई कॉन्क्लेव, भारत में उद्योग-अनुसंधान अभिसरण के लिए है एक अग्रणी मंच
अपनी तरह के पहले आयोजन में कई आईआईटी और अनुसंधान संस्थानों के प्रमुख शिक्षाविदों, शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ उद्यमियों ने लिया हिस्सा
नई दिल्ली। आईआईटी मंडी आईहब और एचसीआई फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आज नई दिल्ली स्थित होटल प्राइड प्लाजा में पहले "एचआईवीई कॉन्क्लेव" का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस आयोजन में देश के कई शोधकर्ताओं और पेशेवरों ने हिस्सा लिया। बता दें कि यह देश में अपनी तरह का पहला आयोजन था, जिसका उद्देश्य तकनीक के माध्यम से देश की आम समस्याओं को सुलझाने की दिशा में रिसर्च और इंडस्ट्री को बढ़ावा देना था।
17 नवंबर को एक नेटवर्किंग डिनर के साथ हुई इस कॉन्क्लेव में इंडस्ट्री, रिसर्च और गवर्नेंस जैसे कई क्षेत्रों के जाने-माने हस्तियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान कई मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श और प्रस्तुतियां हुईं। इस कार्यक्रम ने बाजार की वास्तविकताओं और आवश्यकताओं को समझने, देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रभावी मंच की भूमिका निभाई। बता दें कि इस कार्यक्रम को “लीडिंग थ्रू प्रोब्लम स्टेटमेंट : फॉलोइंग इट विद सॉल्यूशन पिच!” थीम पर आयोजित किया गया था।
इस कॉन्क्लेव की आधिकारिक शुरुआत 18 नवंबर को आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा के संबोधन के साथ हुई। इस दौरान उन्होंने आईआईटी मंडी आईहब को अपने कौशल विकास कार्यक्रम के लिए बधाई दी, जो न केवल कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि रोजगार को भी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
प्रोफेसर बेहरा ने आगे कहा, “आईआईटी मंडी ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरेक्शन में सबसे आगे है और इस दिशा में कई कार्य हो रहे हैं। हम अपना ध्यान थ्योरेटिकल रिसर्च से परे व्यवहारिक रूप से विपणन योग्य उत्पादों पर केन्द्रित कर रहे हैं। शोधकर्ताओं के एक संघ के सहयोग से, हम चार बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिनमें इनोवेटिव आर्टिफिशियल स्कीम, प्रिंट करने योग्य भोजन के लिए बायो-मैन्युफैक्चरिंग और मेड-इन-इंडिया एयर एम्बुलेंस जैसे पहलू शामिल हैं। हमारी ये प्रोजेक्ट्स हमारे जीवन की वास्तविक समस्याओं को सुलझाने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धताओं दर्शाती हैं। इसके अलावा, हम नॉन-इनवेसिव डायबेटिक डायग्नोसिस, स्मार्ट योग मैट जैसे कई अन्य प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं। युवाओं की सशक्त भागीदारी के साथ टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब की सफलता दर 100 प्रतिशत है, क्योंकि इसके अंतर्गत अभी तक 180 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया गया है और सभी ने नौकरियां हासिल की हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आज का यह कार्यक्रम आने वाले समय में दूरदर्शी विचारों को वास्तविकता का रूप देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
वहीं, मुख्य अतिथि डॉ. अखिलेश गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, डीएसटी और सचिव, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने इस अवसर पर कहा, “हाल के वर्षों में पूरे देश में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को काफी बढ़ावा दिया गया है। यदि भारत को आगे बढ़ना है, तो उद्योग और शिक्षा जगत की समान भूमिका निर्धारित करनी होगी। हमें देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना होगा, ताकि वे नवाचार और प्रभाव को पैदा कर सकें। आज हमारे देश में एक लाख से भी अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से केवल लगभग 3500 ही डीप-टेक में हैं; हमें इसे बढ़ावा देना होगा।”
इस संदर्भ में आईआईटी मंडी आईहब और एचसीआई फाउंडेशन के सीईओ सोमजीत अमृत ने कहा, “समस्याओं को पहचानने और उसके निदान में इंडिया-सेंट्रिक डेटासेट, भारतीय बाजार में मानव-कंप्यूटर इंटरेक्शन सफलता की कुंजी है। आईआईटी मंडी आईहब को इस पर दृढ़ विश्वास है। यह ‘लीडिंग थ्रू प्रोब्लम स्टेटमेंट : फॉलोइंग इट विद सॉल्यूशन पिच’ थीम के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से इंगित भी होता है। साथ ही, इस कार्यक्रम में इस तथ्य को भी बखूबी उजागर किया गया कि 'परिणाम और प्रभाव’ एक-दूसरे के समानर्थी नहीं हैं।”
इस कार्यक्रम को कई अन्य गणमान्यों द्वारा भी संबोधित किया गया। जिसमें प्रोफेसर एम. बालकृष्णन, आईआईटी दिल्ली द्वारा “सिम्पलीसिटी फोस्टर्ड बाय यूजर-सेंट्रिक डिजाइन्स”, प्रोफेसर अनिरुद्ध जोशी, आईआईटी बॉम्बे द्वारा “डिजाइन टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन फॉर एंड विद इंडियन इमर्जेंट यूजर्स”, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. अनिल कपूर (एवीएसएम, वीएसएम रिटायर्ड) द्वारा “ह्यूमन-मशीन इंटरफेस - ए डिजाइन थिंकिंग पर्सपेक्टिव फ्रॉम लैब टू मार्केट” शामिल हैं।
एचआईवीई कॉन्क्लेव में कई नवोन्मेषी प्रस्तुतियों और केस स्टडीज़ को भी पेश किया गया, जैसे कि डॉ. सतादल घोष, आईआईटी मद्रास द्वारा "बियॉन्ड द लाइन ऑफ़ साइट, ह्यूमन-ड्रोन इंटरफ़ेस", डॉ. सुमित मुराब, आईआईटी मंडी द्वारा "3डी प्रिंटिंग के माध्यम से खाद्य पदार्थों का निर्माण”, और डॉ. गौरव जसवाल द्वारा "ड्राइवर अलर्टनेस मैनेजमेंट सिस्टम" एक केस स्टडी। इसके अलावा, यहाँ डॉ. विशाखा भारती, यूई लाइफसाइंसेज और डॉ. सुकोमल दे, आईआईटी पल्लकड़ द्वारा "एक फुल लाइफसाइकिल ऑफ ट्यूमर डिटेक्शन फ्रॉम स्कीनिंग टू डायग्नोसिस”, डॉ. अमिता जैन, एनएसयूटी दिल्ली, और प्रियांशु प्रियम, आयुस्पेक्ट्रा द्वारा "ए ह्यूमन-डिवाइस इंटरवेंस फॉर स्ट्रेस मैनेजमेंट" विषय पर प्रजेंटेशन भी दिया गया।
इसके अलावा, कार्यक्रम में अनिल विश्वास, जनरल मैनेजर, ओपन इनोवेशन - स्टार्टअप, सैमसंग रिसर्च द्वारा “बिजनेस टू कंज्यूमर बेस्ड इनोवेटिव प्रैक्टिसेज ओवर द लाइफसाइकिल ऑफ प्रोटोटाइप टू प्रोडक्ट” टाटा केमिकल्स लिमिटेड के सीटीओ केआर वेंकटाद्री ने "अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोग - लाभ और मॉडल", बुमो3डीआर (सिंगापुर) के संस्थापक श्रीधरन त्यागराजन और विप्रो के डिजिटल पार्टनर अनु पिल्लई द्वारा "वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने में नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग" विषय पर विस्तृत चर्चा की गई।
कुल मिलाकर, इस कार्यक्रम में रिसर्च और इंडस्ट्री के सहयोगात्मक प्रयासों को दर्शाती कुल 5 प्रेजेंटेशन थे। इन प्रेजेंटेशन के प्रभाव का मूल्यांकन विशेषज्ञों के एक प्रतिष्ठित पैनल द्वारा किया गया और विजेताओं को नकद पुरस्कार भी दिया गया। कुल मिलाकर, एचआईवीई कॉन्क्लेव 2023 ने भविष्य के आयोजनों के लिए एक मिसाल कायम की है जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी-उन्मुख उपायों से वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करना है।