मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, और हैदराबाद टॉप शहर हैं, जहाँ नियुक्ति के इरादे में वृद्धि देखी जा रही है - टीमलीज़ सर्विसेज की रिपोर्ट

मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, और हैदराबाद टॉप शहर हैं, जहाँ नियुक्ति के इरादे में वृद्धि देखी जा रही है - टीमलीज़ सर्विसेज की रिपोर्ट

एफएमसीजी कंपनियों को अनिश्चितताओं के बीच नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए  लोगों की भर्ती करने, उसे बनाए रखने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए : रिपोर्ट

उद्योग में महत्वपूर्ण नियुक्तियों वाले शीर्ष के तीन प्रकार्यों में सेल्‍स, मार्केटिंग और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं

बेंगलुरु : भारत की नियोजन, नियोजनीयता और व्यवसाय करने की आसानी के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव लाने वाली अग्रणी स्टाफिंग कंपनी-समूह, टीमलीज सर्विसेज (NSE:TEAMLEASE) ने देश की तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) सेक्टर पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में ढेरों बदलाव लाने वाली जानकारियों का खुलासा किया गया है जिनसे उद्योग का परिदृश्य बदल सकता है। इसमें एफएमसीजी कार्यबल में काफी लैंगिक विषमता को चिन्हित किया गया है, जहां आउटसोर्स्ड कार्यबल में 90% से अधिक पुरुष सहयोगी हैं। रिपोर्ट तैयार करने में कंपनी के असोसिएट्स डेटाबेस और सेकेंडरी रिसर्च से प्राप्त आतंरिक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है और इसमें नियुक्ति एवं संकर्षण संबंधी रुझानों के साथ हितधारकों के लिए बहुमूल्य रणनैतिक मार्गदर्शन प्रस्तुत किया गया है। रिपोर्ट में जन आपूर्ति श्रृंखला (पीपल सप्लाई चेन) को इष्टतम करने के लिए तीन स्तंभों के रूप में हायरिंग, एट्रिशन और प्रोडक्टिविटी (एचएपी) पर जोर दिया गया है। यह रिपोर्ट प्रमाणित रणनीतियों का विवरण देती है जो संगठनों के लिए तेजी से नियुक्ति करने, एट्रिशन, और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। कुछ अनुशंसाओं में फ्रेशर की भर्ती की संभावना तलाशने, बेहतर मिलान के लिए साइकोमेट्रिक मूल्यांकन के साथ-साथ एलऐंडडी के लिए को-पे मॉडल शामिल हैं, जिनसे प्रशिक्षुओं को अपने करियर में ग्रोथ को फ़ास्ट-ट्रैक करने में मदद मिल सकती है।

मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, और हैदराबाद, भारत के वे पाँच शीर्ष शहर हैं, जहाँ एफएमसीजी सेक्टर में नियुक्ति का ठोस इरादा दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट में सेल्‍स, मार्केटिंग, और सूचना प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कार्यालय सेवाएं, मानव संसाधन, और श्रमिक की भूमिकाओं वाली नौकरियों के लिए नई भर्ती में काफी वृद्धि दर्शायी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रो शहरों में एट्रिशन (संघर्षण) दर सबसे ज्यादा (27%) है। उनके बाद टियर 1 और टियर 2 शहरों (26%) का स्थान है। टियर 3 और टियर 4 शहरों के लोगों में मेट्रो शहरों की अपेक्षा एट्रिशन दर कम है, जो ग्रामीण बाज़ारों में अपेक्षाकृत कम माँग का परिचायक है। रिपोर्ट दर्शाती है कि सक्रिय सहयोगियों की औसत उम्र 36 वर्ष है और संघर्षित कर्मचारियों की करीब 34 वर्ष। इससे संकेत मिलता है कि अपेक्षाकृत कम उम्र के कर्मचारियों में संघर्षण की प्रवृत्ति अधिक होती है। इसी प्रकार सक्रिय और संघर्षित सहयोगियों का कार्यकाल क्रमशः 1.7 और 1.1 वर्ष है। रिपोर्ट में संघर्षण को दो भिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है : ‘खेदजनक’ और ‘गैर-खेदजनक’। खेदजनक संघर्षण 21% निकासी के लिए जिम्मेदार है जिसमें वे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन की बदौलत कंपनी के औसत से अधिक प्रोत्साहन राशि अर्जित की थी। दूसरी ओर, गैर-खेदजनक संघर्षण, जिसका संघर्षण दर 39% है, उन मामलों में घटित होता है जहाँ कर्मचारी कोई प्रोत्साहन राशि अर्जित नहीं करते। टीमलीज़ सर्विसेज ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि चालू और संघर्षित सहयोगियों के लिए औसत सीटीसी दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि जहाँ सक्रिय और संघर्षित सहयोगियों के वेतन के बीच फर्क ना के बराबर है, वहीं अर्जित प्रोत्साहन राशि का अंतर काफी बड़ा है। यह दर्शाता है कि संघर्षण की भविष्यवाणी के लिए वेतन की तुलना में प्रोत्साहन राशि काफी अधिक मजबूत घटक हैं, क्योंकि वेतन में लचीलापन प्रतीत नहीं होता।

भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तत्परता और महत्वपूर्ण सरकारी सहयोग को देखते हुए आने वाले वर्षों में एफएमसीजी उद्योग के आमदनी के महत्वपूर्ण माइलस्टोन पर पहुँच जाने का अनुमान है। एफडीआई भत्ते और पीएलआई योजना जैसी सरकारी पहलों से उद्योग की वृद्धि और निर्यात की संभावना को ताकत मिल रही है। ई-कॉमर्स का विस्तार और डायरेक्ट-टू-कंज्‍यूमर (सीधे उपभोक्ता तक) मॉडल बाज़ार में और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बाज़ार में पहुंच बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। निरंतर नवाचार और उत्पाद विविधीकरण के माध्यम से उपभोक्ताओं की विकसित होती प्राथमिकताओं के प्रति अनुकूलन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का बढ़ता मध्य-वर्ग और युवा जनसंख्या से बाज़ार का सतत विस्तार सुनिश्चित हो रहा है।

इस परिदृश्य में, परिचालनगत दक्षता हेतु टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना, आँकड़ा-प्रेरित निर्णय-निर्धारण करना, और आपूर्ति श्रृंखलाओं का ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ उठाना बेहद ज़रूरी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि परंपरागत किराना दुकानों के साथ बढ़ी हुई डिजिटल कनेक्टिविटी के माध्यम से सहयोग करने से परस्पर वृद्धि और बाज़ार के विस्तार के द्वार खुलेंगे। किराना की दुकानें हमारे देश की रिटेल बिक्री की रीढ़ हैं, और ये निकट भविष्य में प्रासंगिक बनी रहेंगी। लेकिन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स, विशेषकर क्विक-कॉमर्स काफी तेजी से आगे बढ़ेगा जैसा कि उपभोक्ताओं के व्यवहार में स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है। अब इस प्रकार के प्लैटफ़ॉर्म्‍स का प्रयोग केवल जोश में आकर खरीदारी करने और नियमित थोक खरीदारी के लिए भी नहीं हो रहा है।

टीमलीज़ सर्विसेज लिमिटेड के सीईओ ऑफ़ स्टाफिंग, कार्तिक नारायण ने कहा कि, “रिपोर्ट से भारत के एफएमसीजी सेक्टर के विकासशील परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा होता है। इसमें अवसरों और चुनौतियों से निपटने के लिए हितधारकों को बहुमूल्य रणनैतिक मार्गदर्शन प्रस्तुत किये गए हैं। टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का प्रयोग करने से लेकर कार्यबल गतिशीलता को संबोधित करने तक, संगठनों को बाज़ार के इस गतिशील वातावरण में फलने-फूलने के लिए फुर्ती और दूरदृष्टि अवश्य अपनाना चाहिए।”

टीमलीज़ सर्विसेज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट और बिजनेस हेड, बालासुब्रमणियन ए ने कहा कि, “मुंबई, बैंगलोर, चेन्‍नई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में नियुक्त करने के इरादे में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जा रही है। इस स्थिति में एफएमसीजी सेक्टर मजबूती से कार्यबल विस्तार और प्रतिभा अधिप्राप्ति करने को तैयार है। यह रुझान उद्योग कारोबारियों के लिए उभरते अवसरों का लाभ उठाने और प्रभावकारी रूप से परिचालनों को बढ़ाने का एक सकारात्मक नजरिये का संकेत है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “एफएमसीजी कार्यबल में लैंगिक विषमता, जहाँ पुरुष सहयोगियों का अनुपात 90% से अधिक है, को देखते हुए उद्योग में लैंगिक विविधता और समावेशन को संरक्षण देने के लिए सुनियोजित और संगठित प्रयासों की ज़रुरत है। विविधता को अपनाने से न केवल नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि एक ज्यादा न्यायसंगत कार्यस्थल के निर्माण हेतु वचनबद्धता भी दिखाई देती है।”

जैसा कि भारत का एफएमसीजी उद्योग एक निर्णायक मोड़ पर है, टीमलीज़ सर्विसेज की एफएमसीजी रिपोर्ट के निष्कर्ष उद्योग में कंपनियों को लगातार विकसित होते उपभोक्ता वस्तु बाज़ार में सतत् वृद्धि, नवाचार और सफलता की दिशा की ओर निर्देशित करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एफएमसीजी सेक्टर में प्रभावकारी आँकड़ा प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। कंपनियों के पास उपभोक्ताओं के भारी-भरकम आँकड़े हैं, जिनका अगर ठीक से विश्लेषण किया जाए तो वे बहुमूल्य और गहरी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। इन जानकारियों के आधार पर नवाचार को आगे बढ़ाने और ग्राहक सहभागिता बेहतर करने में मदद मिलेगी। साथ ही, वैश्विक सफलता के लिए ब्रांड की सकारात्मक छवि बनाये रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए विभिन्न बाज़ारों में अलग-अलग विनियामक मानदंडों का सावधानीपूर्वक पता लगाना ज़रूरी है। रिपोर्ट में चुनौतियों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया है कि उद्योग को ऑनलाइन रिटेल में तेज प्रतिस्पर्धा से भी जूझना पड़ रहा है। नतीजतन, प्रमुख कंपनियों के लिए कीमतों की होड़ और और आरऐंडडी लागत में वृद्धि बढ़ रही है। इसके अलावा, सेक्टर के सामने जनरेशन एक्स, मिलेनियल्स, और जनरेशन जेड, जिनमें प्रत्येक की विशिष्ट पसंद और प्राथमिकताएं हैं, के साथ विविधतापूर्ण जनसांख्यिकी विस्तार की ज़रुरत पूरी करने की चुनौती मौजूद है।

टीमलीज़ सर्विसेज की रिपोर्ट में आज के गतिशील बाज़ार परिदृश्य में लगातार सफलता के लिए विनियामक जटिलताओं और उपभोक्ताओं की माँगों पर ध्यान देते हुए टेक्‍नोलॉजी, नवाचार, तथा रणनैतिक सहयोग अपनाने की बात कही गई है। साथ ही, यह भी सुझाया गया है कि संगठनों को उभरते अवसरों का लाभ उठाने एवं बाज़ार की अनिश्चितता के बीच प्रभावकारी रूप से आगे बढ़ने के लिए नियुक्ति को प्राथमिकता देने, संघर्षण को न्यूनतम करने तथा कार्यबल की उत्पादकता बढ़ाने पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।