इंटरनेट से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव 

इंटरनेट से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव 

नई दिल्ली: सूचना तकनीक ने संवाद की परंपरा को नया स्वरूप दे दिया है। एक जमाना था जब लोग एक दूसरे से संवाद स्थापित करने के लिए पोस्टकार्ड, लिफाफा और टेलीग्राम का उपयोग किया करते थे पर उसकी जगह अब व्हाट्सएप ने ले लिया है। इंटरनेट ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है। ऑनलाइन एजुकेशन ''गागर में सागर'' का काम कर रही है।दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित ब्रिटिश लिंग्वा में पढ़ने के लिए लोग कभी दूर दराज से घंटों सफर कर आया करते थे पर अब ये गुजरे ज़माने की बात हो गई।अब ब्रिटिश लिंग्वा ने ऑनलाइन माध्यम से घर बैठे ही लोगों को "इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स" की सुविधा उपलब्ध करा दी है। इसका लाभ देश ही नहीं विदेश में बैठे लोग भी भारी संख्या में उठा रहे हैं।

ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से छात्र अब दूर दराज के क्षेत्रों में रहकर भी ब्रिटिश लिंग्वा से जुड़कर क्वालिटी एजुकेशन प्राप्त कर सकते हैं। ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ बीरबल झा विगत तीन दशक से आम भारतीयों को अंग्रेजी सीखाने के लिए आंदोलन चला रहे हैं उनका कहना है कि " भाषा एक सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से हम एक दूसरे से जुड़ते हैं। अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा ही नहीं है बल्कि यह स्किल बन चुकी है। अंग्रेजी बोलने और लिखने की कला हर किसी के लिए जरूरी है इसका लाभ बेहतर जिंदगी हर किसी को उठाना चाहिए।

बिहार से ऑनलाइन कोर्स कर रही पुष्पा प्रकाश कहती हैं कि "ब्रिटिश लिंग्वा के ऑनलाइन स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर मैंने अपने में काफी बदलाव महसूस कर रही    हूं और मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया है।" वहीं अमित का कहना है कि " अच्छी अंग्रेजी बोलना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था पर ये सपना ब्रिटिश लिंग्वा ने साकार कर दिया।"

भारत जैसे बहुभाषीय समाज में अंग्रेजी एक कड़ी का काम करती है साथ ही डॉ  झा कहते हैं " भारत में अंग्रेज़ी जानने वाला कभी भुखे नहीं मर सकता है। अंग्रेजी भाषा में लोगों में आत्मविश्वास पैदा करने की अद्भुत क्षमता के साथ ही रोजी रोजगार से लोगों को जोड़ने का काम करती है।" 

ऑनलाइन इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स के बढ़ते क्रेज़ का फ़ायदा युवा पीढ़ी के साथ ही अब बुजुर्ग भी लाभ उठा रहे हैं।