ब्रेन हेमरेज से ग्रस्त 5 साल की उम्र के लड़के का फोर्टिस नोएडा में सफल इलाज
दुनियाभर में 10,0000 में से केवल 1 ही इस प्रकार का मामला सामने आया है
नोएडा: फोर्टिस अस्पताल नोएडा, में 5 साल के एक ऐसे बच्चे का सफल उपचार किया गया है जो ब्रेन हेमरेज का शिकार हुआ था। इस बच्चे को स्कूल में खेलते हुए अचानक तेज सिरदर्द और उल्टी के बाद ब्रेन हेमरेज हुआ था। बच्चे को उसके होमटाउन (राजस्थान का पिलानी शहर) में ही नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां ब्रेन के सीटी स्कैन के बाद उसे फोर्टिस नोएडा के लिए रेफर किया गया। सीटी स्कैन में बच्चे के ब्रेन में एक ऐसे घाव का पता चला था जिसकी सर्जरी देश के चुनींदा अस्पतालों में ही की जाती है।
इस बच्चे को जब फोर्टिस नोएडा लाया गया तो वह काफी नींद में था और सुस्ती भी महसूस कर रहा था। सीटी स्कैन करवाने पर पता चला कि उसके ब्रेन के एक भाग में ब्रेन हेमरेज हुआ है। इसके बाद, मरीज के खून में किसी प्रकार की असामान्यता का पता लगाने के लिए डॉक्टरों ने उसकी सेरीब्रेल डीएसए (डिजिटल सब्ट्रैक्शन एंजियोग्राफी) की जिससे पता चला कि उसके ब्रेन के अगले भाग में असामान्य ब्लड वैसल्स का एक जटिल गुच्छा (आर्टरियोवेनस मैल्फॉर्मेशन) बना हुआ था। अस्पताल में डॉ राहुल गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस नोएडा के नेतृत्व में उनका इलाज शुरू हुआ और 5 दिनों के बाद स्थिर अवस्था में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
इस मामले की और जानकारी देते हुए, डॉ राहुल गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने बताया, “हमें मरीज के ब्रेन में आर्टरियोवेनस मैल्फॉर्मेशन (एवीएम) का पता चला – यह ब्लड वैसल्स का एक प्रकार का गुच्छा होता है जिसके कारण ब्रेन में आर्टरीज़ और वेन्स का अनियमित कनेक्शन बनता है। इसके चलते हमने मरीज की सर्जरी कर इन असामान्य वैसल्स को हटाने और हेमाटोमा जांच करने का फेसला किया। यह सर्जरी काफी जटिल थी क्योंकि ये असामान्य ब्लड वैसल्स काफी नाजुक थीं और छूते ही फटने का खतरा था।
प्रशिक्षित न्यूरो-एनेस्थीटिस्ट्स की सहायता से हम मरीज के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हुए सर्जरी पर ध्यान केंद्रित कर सके थे। करीब 6 घंटे चली इस सर्जरी के बाद मरीज को पिडियाट्रिक आईसीयू में शिफ्ट किया गया। ब्रेन की फ्रंटल लोब शरीर की स्वैच्छिक क्रियाओं, अभिव्यक्ति के लिए भाषा और अन्य कई उच्च स्तरीय फंक्शंस के लिहाज से महत्वपूर्ण होती है। यदि समय पर यह सर्जरी न की जाती तो मरीज की दृष्टि प्रभावित होने के साथ-साथ उसके हाथ-पैर कमजोर पड़ सकते थे और अचानक मृत्यु या मरीज के कोमा में जाने का भी खतरा था। सर्जरी के 5 दिनों के बाद ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब उसकी हालत स्थिर है।”
मोहित सिंह, जोनल डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा, “मरीज की उम्र और उसकी जटिलताओं के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। इस प्रकार के मामलों में, तत्काल किसी ऐसे मल्टी-स्पेश्यलिटी अस्पताल में मरीज को दिखाना चाहिए जो श्रेष्ठ मेडिकल सुविधाओं, मेडिकल डिवाइसों और प्रशिक्षित डॉक्टरों से सुसज्जित हो। डॉ राहुल गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मामले का काफी गंभीरता से लिया और काफी सटीकता, केयर तथा मल्टी-डिसीप्लीनरी एप्रोच के साथ, तथा एनेस्थीसिया टीम की सहायता से सर्जरी को अंजाम दिया।”