विश्वमें धर्म  का प्रथम विश्वकोष बनाने वाले स्वामी चिदानंद ने किया आव्हान कि अपनी भाषा को ना भूलें

विश्वमें धर्म  का प्रथम विश्वकोष बनाने वाले स्वामी चिदानंद ने किया आव्हान कि अपनी भाषा को ना भूलें

नई दिल्ली। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु दो दशकों से सतत  प्रयत्नशील विश्व हिंदी परिषद एवं राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में यहां संस्थान परिसर में हिंदी दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर अधिक ऋषिकेश परमार्थ निकेतन निकेतन आश्रम के संस्थापक-अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा हिंदी हमारी आत्मा है और हम आज जो हिंदी दिवस मना रहे हैं, इसका प्रमुख हेतु ही हिंदी का अमृत है। उन ने कहा कि हिंदी ह्रदय की भाषा है और भारतीय तथा प्रवासी भारतीय उनसे आग्रह है कि वह हमेशा अपनी मातृभाषा हिंदी को को प्राथमिकता दें और उसे बढ़ावा देने के लिए कब संकल्प हों। स्वामी चिदानंद ने कहा कि विदेशों में भी हिंदी भाषा के साथ नहीं हिंदी धर्म की रक्षार्थ प्रयत्नशील है। विश्वमें धर्म  का प्रथम विश्वकोष बनाने वाले स्वामी चिदानंद ने नई पीढ़ी का आव्हान किया कि वे सभी अपनी भाषा को ना भूलें।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यसभा के सांसद रामचंद्र जंगरा ने हिंदी को लोक भाषाओं की अग्रणी भाषा बताते हुए अपने अनुभवजन्य भाषण में हिंदी के समक्ष आ रही चुनौतियों का वर्णन किया और कहा जब तक हमारे देश में भारतीय संस्कारों और संस्कृति के साथ चरित्र को हिंदी को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक हिंदी की गरिमा व प्रतिष्ठा स्थापित नहीं हो सकती।

सांसद रामचंद्र जंगरा ने कहा हिंदी हमारी प्रार्थना की भाषा है। अगर हिंदी का वर्चस्व बढ़ाना है तो इसे नवीन पीढ़ी को  विशेषकर सम्मान, आशा और विश्वास के साथ स्वीकार थकरना होगा। आरंभ में विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने अतिथियों का विधिवत स्वागत करते हुए परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहां की सन् 2035 तक हिंदी वैश्विक राष्ट्रभाषा हो यही लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के महानिदेशक श्री शांतमनु ने  हिंदी के हिंदी को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए एक पुल बताया।

हिंदी दिवस समारोह में अतिथि के रूप में मंच पर प्रसिद्ध इतिहास विद एवं पुरातत्व विद लेखक व हिंदी प्रेमी श्री अमरनाथ, विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष श्री डी.पी मिश्र तथा प्रकाश हॉस्पिटल नोएडा के अध्यक्ष एवं निदेशक, तथा प्रमुख अस्थि रोग सर्जन, डॉ. विजय सिंह चौहान उपस्थित थे। जिन्होंने मातृभाषा हिंदी के गुणगान के साथ उसे राष्ट्रभाषा के सिंहासन पर पहुंचाने का आव्हान किया। समारोह के आरंभ में देश के मूर्धन्य कवि और कवयित्रियों ने मंच पर हिंदी गीत ,ग़ज़ल, कविताओं से हिंदी की गंगोत्री बहाई। विश्व हिंदी परिषद की राष्ट्रीय समन्वयक कवयित्री व पत्रकार डॉ. शकुंतला सरूपरिया (उदयपुर-राजस्थान) के संचालन में डॉ. सत्येंद्र सत्यार्थी के सरस्वती वंदना के साथ ही शुक्ला विनम्र संजीव निगम डॉ.अखिलेश शर्मा सुयश,भार्गवी , डॉ.पूजा दीवान कनक लता गौर, डॉ. आनंद वर्धन पूनम माटिया, मंजूषा रंजन, डॉ. पीयूष रंजन ,अनु अग्रवाल ने काव्य पाठ किया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डूटा के अध्यक्ष डॉ.अजय भागी ने की सभी कवियों के साथ हिंदी दिवस के अवसर पर 10 से अधिक हिंदी सेवियो का संस्था द्वारा शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया।

जिनमें जितेंद्र कुमार तिवारी, सदानंद पांडे देवन राय, डॉ.रश्मि सलूजा डॉ. अपर्णा राय,डॉ. नीता कुमार, डॉ शकुंतला सरूपरिया, श्रीमती अरुणिमा सिन्हा, आलोक कुमार, डॉ. सुभाष गिरी, नवीन कुमार के  नाम शामिल थे। धन्यवाद की रस्म डॉ. अरुणिमा सिन्हा ने अदा की।