स्ट्रेसफुल लाइफ पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD) का कारण है - डॉ चंचल शर्मा

स्ट्रेसफुल लाइफ पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD) का कारण है - डॉ चंचल शर्मा

हाल-फिलहाल में हम सभी लोग कोविड के बाद वाली दुनिय़ा में जीना सीख रहें हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है। कि जो महिलाएं कोविड के कारण या अन्य किसी स्वास्थ्य कारण से तनाव (स्ट्रेस) से घिरी रहती है। तो वह महिलाओं में होने वाली बीमारी पीसीओडी से जल्दी ग्रसित हो जाती है। पीसीओडी एक ऐसी प्रजनन संबंधी बीमारी है। जिससे 5 में से 1 महिला प्रभावित है।

फर्टिलिटी एक्सपर्ट बताते हैं। कि तनाव के दौरान गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होती है। जिससे बहुत तेजी के साथ महिलाओं की फर्टिलिटी प्रभावित होती है। तनाव और फर्टिलिटी के बीच बहुत सारे सर्वे हुए है। जिसमें खुलासा हुआ है। कि यदि प्रजनन उम्र की महिलाओं का जीवन तनाव के बीच गुजरता है। तो उनमें बच्चे पैदा करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में महिला के गर्भवती होने की संभावना भी कम हो जाती है। बच्चा पैदा करने के लिए महिला का जीवन तनाव मुक्त होना चाहिए। यदि ऐसा संभव नही हो पाता है। तो कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

तनाव कैसे महिला फर्टिलिटी को प्रभावित करता है ?

तनाव महिला के जीवन के हर तरीके से प्रभावित करता है । जो निम्नलिखित है -
तनाव ग्रसित महिलाएं संबंध बनाने में कम रुचि लेती है।

तनाव के कारण महिलाएं गलत आदतों का भी शिकार हो जाती है। जैसे तंबाकु और शबार जैसी बुरी लत इत्यादि।
तनाव के कारण महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हो जाते है। जिससे पीसीओडी की समस्या आती है।

तनाव के कारण महिलाओं का यौन जीवन खराब हो जाता है।
तनाव से महिलाओं के चेहरे में झुर्रियां और मुंहासे हो सकते है । जो पीसीओडी के कारण हैं।

तनाव के चलते महिला का मस्तिष्क, पट्युरी और ओवरी के बीच ठीक से संबंध स्थापित नही हो पाता है।
खराब जीवनशैली के कारण महिलाओं में अक्सर , ए़़डोनोमायोसिस, एंडोमेट्रोयासिस और हाइड्रोसाल्पिंक्स होता है। जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी की दर बढ़ाते हैं।

किस उम्र की महिलाओं को सबसे ज्यादा होता है पीसीओडी ?
पीसीओडी होने की सबसे ज्यादा संभावना प्रजनन उम्र की महिलाओं को होती है। जिनकी शुरुआती उम्र 20 होती है औ 45 के आसपास होती है। ऐसे में प्रजनन विशेषज्ञ परामर्श करते है। कि इस उम्र में यदि पीरियड्स मिस होते है। तो तुरंत डॉक्टर से बात करके उसका उपचार लेना बहुत ही जरुरी है। लड़कियां एवं महिलाएं पीसीओडी के शुरुआती लक्षणों को ध्यान में रखकर तुरंत उसका निदान करे और भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य समास्याओं से बचा जा सके ।

यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से एक विशेष चर्चा के दौरान प्राप्त हुई है।