एमिटी विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस पर ‘‘हिन्दी भाषा - मेरी पहचान” कार्यक्रम का आयोजन
नोएडा।PNI News। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर छात्रों को हिंदी भाषा के गौरवपूर्ण इतिहास और हिंदी हमारी संस्कृती की अभिव्यक्ती का सशक्त माध्यम है इसकी जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन द्वारा ‘‘ हिन्दी भाषा - मेरी पहचान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुदगल और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा महिमा गुप्ता द्वारा किया गया।
इस अवसर पर हिंदी यात्रा उत्सव नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों ने हिंदी भाषा की कविता पाठ, कहानी पाठ और दोहों के माध्यम से विचारों को व्यक्त किया। इस अवसर पर ‘‘ हिन्दी भाषा एवं रोजगार के अवसर” विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो पूरन चंद टंडन और श्री लाल बहादुर शास्त्री नेशनल संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो आर पी पाठक ने अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधीजी ने कहा था कि राष्ट्रभाषा केवल हिंदी हो सकती है जिससे प्रेरणा लेकर इस संस्थान की स्थापना हुई। आजादी के पूर्व हिन्दी का कार्य स्वंतत्रता आंदोलन की गतिविधि समझा जाता था। श्री जोशी ने कहा कि भाषा केवल संवाद की अभिव्यक्ती नही होती बल्की संस्कृती रहन सहन, खान पान और पूरी जीवन शैली होती है। आज समाज में अवसाद बढ़ रहा है और परिवार टूट रहे है इसका कारण अपनी संस्कृती और भाषा से दूर होना है। जब हम अपनी भाषा को छोड़ते है तो अपनी संस्कृती को छोड़ते है। भाषा का बदलाव केवल बोलचाल और लिखने में नही आता बल्कि हमारे जीवन के हर पहलु में आता है। प्रधानमंत्री की अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करने की पहल के उपरंात आज लगभग 14 विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं मं इजिनियरिंग की शिक्षा दी जा रही है। विश्व के सबसे अधिक 30 देश जिनकी जीडीपी अधिक है उनमें से 16 देशों की भाषा अंग्रेजी नही है। आप अपनी भाषा के माध्यम से मौलिकता पा सकते है इसलिए आवश्यक है कि अपनी भाषा में कार्य करें और दृष्टिकोण विकसित करें।
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा कि हिन्दी हमारी पहचान है और संस्कार है। अन्य भाषा मे ंना ही अपनत्व आता है ना ही बोली की मिठास महसूस होती है। कई लोग है जिन्हे हिन्दी बोलने में हीन भावना महसूस होती है और उन्हे लगता है कि अंग्रेजी बोलने वाले विशिष्ट होते है जबकी ऐसा नही है। हिन्दी के माध्यम से हम बेहतर तरीके से अपनी बात और भाव को प्रकट कर सकते है और दूसरो की समझ सकते है। नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी में शिक्षा प्रदान करने को महत्व दिया गया है। एमिटी विश्वविद्यालय में संस्कृत को एक भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। एमिटी मे ंहम सदैव छात्रों को भाषा एवं संस्कृती से जोड़ने की दिशा में कार्य करते है।
इस अवसर पर ‘‘ हिन्दी भाषा एवं रोजगार के अवसर” विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो पूरन चंद टंडन ने संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी एक बृहद भाषा है। आज अंग्रेजी की तुलना में हिंदी के साथ भेदभाव किया जा रहा है। हिन्दी को भूलने वाले देश का अपमान कर रहे है। आज के युवा हिन्दी को नया आयाम दे सकते है। सदैव अपनी भाषा का सम्मान करें। श्री लाल बहादुर शास्त्री नेशनल संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो आर पी पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी के विकास हेतु युवाओं को प्रोत्साहित करना होगा। न्यायालय में अधिकतर कार्य अंग्रेजी भाषा में होता है जिससे हिन्दी जानने वाले जानकारी नही हो पाती। देश को पुनः विश्वगुरू बनाने के लिए सभी को अपनी हिन्दी भाषा के विकास हेतु सार्थक प्रयास करना होगा।
कार्यक्रम के समापन पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा महिमा गुप्ता द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।