क्या एंडोमेट्रियोसिस वाली महिला गर्भधारण कर सकती है ?

क्या एंडोमेट्रियोसिस वाली महिला गर्भधारण कर सकती है ?

माँ बनने की की चाहत हर महिला के दिल में होती है, और हो भी क्योंकि न ईश्वर ने उसे मातृत्व सुख का अमर वरदान जो प्राप्त किया है। परंतु सब कुछ ठीक होने के बाद भी कुछ ऐसी प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित विसंगतियां (Health related discrepancies) होती है । जो महिला को माँ बनने से रोक देते ही है । हम आज एक ऐसी ही बीमारी के बारें में चर्चा करेंगे। इस बीमारी का नाम है एंडोमेट्रियोसिस जो महिला के माँ बनने के सफर में रुकावट डाल सकती है।

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाला एक ऐसा डिसऑर्डर है। जो बच्चेदानी की लाइनिंग बनाने वाले टिश्यू से मिलता हुआ, बच्चेदानी के मुंह के बाहर विकसित हो जाता है। बच्चेदानी की इस लाइनिंग को एंडोमेट्रियम के नाम से जानते है।

पूरे विश्व में करीब 1 करोड़ महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी से प्रभावित है। एंडोमेट्रियोसिस एक स्त्री रोग संबंधी स्थिति है जो अनुमानित 2 से 10 प्रतिशत महिलाओं की प्रसव उम्र को प्रभावित करती है। लगभग 25 से 50% बांझ महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस होता है।

क्या एंडोमेट्रियोसिस के बारें में ज्यादातर महिलाओं को कोई जानकारी नही है ?
जी, नही
वर्तमान समय में अधिकांश महिलाओं को प्रजनन से जुडे इस विकार के बारे में कोई जानकारी नही है। क्योंकि यह एक अंदरूनी बीमारी है। इसके कोई भी लक्षण बाहरी तौर पर दिखाई नही देते है। यह महिलाओं के शरीर में अधिक समय तक रह सकता है, क्योंकि जब से महिला को माहवारी शुरु होती है । उस दौरान से लेकर यह रजोनिवृत्ति तक इसके होने की संभावना होती है। अगर हम सही समय पर इसका निदान कर लें तो बहुत सारी जटिलताओं से बचा जा सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस क्या है ?
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी असामान्य स्थिति है। जब Endometrium महिला के प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान बाहर न निकल कर बच्चेदानी के आसपास या फिर फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से महिला के प्रजनन अंगों में चिपक जाता है। और धीरे-धीरे निशान बना लेता है । तो हम इस स्थिति को एंडोमेट्रियोसिस कहते है।

एंडोमेट्रियोसिस वाली महिला कैसे गर्भधारण कर सकती है ?
यदि कोई महिला एंडोमेट्रियोसिस से प्रभावित है और वह गर्भधराण करने की चाहत रखती है तो आयुर्वेदिक उपचार से गर्भधारण करना पूरी तरह से संभव है।
आयुर्वेदिक उपचार का लक्ष्य होता है, बीमारी की जड़ पर वार करना ताकि उस रोग को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके। एंडोमेट्रियोसिस से पीडित महिला को सर्व प्रथम संतुलित एवं पौष्टिक भोजन की सिफारिस की जाती है । ताकि महिला शरीर के हार्मोन बैलेंस हो सके और जीवनशैली सुधार पर भी जोर दिया जाता है।
आयुर्वेद में भोजन को ही सबसे बड़ी औषधि माना जाता है। डाइट और फूड सिलेक्शन में आयुर्वेद का कोई विकल्प नही है। यदि आप संतुलित भोजन लेती है तो अपने आप ही आपकी शारीरिक और मानसिक तनाव दूर हो जाता है। इसलिए आपको सेहतमंद आहार और अच्छी जीवनशैली अपनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त रोगी की स्थिति के आधार आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों, काढ़ो एवं अन्य औषधियों को प्रयोग में लाया जाता है।