बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन 23, 24 मार्च को दिल्ली में
दो दिवसीय राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन में देश भर के 250 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, NGO's आदि संगठनों के लगभग 700 प्रतिनिधि करेंगे हिस्सेदारी
आज देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है । बड़ी- बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर -दर भटक रहे हैं । रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है, इसके उलट भर्ती की जगह युवाओंको लाठियां मिल रही है अभी हाल ही मे पुरे देश ने देखा की किस तरह रेलवे RRB-NTPC की भर्ती को लेकर छात्रों के उपर बर्बर दमन किया गया I जहाँ भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जहाँ मिनिमम वेज इतना कम है की जिससे काम करने के बावजूद भी लोगो को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है, प्राइवेट सेक्टर मे भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है I वहीं हम देख रहे है की देश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनवाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं I जहाँ तक देश की आधी आबादी महिलाओं का प्रश्न है उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नही है I
बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आजादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नही बनाई। यही वजय है कि आजादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है I पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और आधिक चिंताजनक स्तिथि मे पहुचां दिया I आज बेरोजगारी की समस्या ना सिर्फ गांव के लोगों की है बल्कि जो लोग बड़े-बड़े शहरों में रहते हैं, उनकी भी समस्या है I चाहे कोई किसी भी जाति में पैदा हुआ हो, किसी भी धर्म को मानने वाला हो, किसी भी भाषा को बोलने वाला हो, चाहे कोई किसी भी क्षेत्र का रहने वाला हो, चाहे महिला हो, पुरुष हो या फिर ट्रांस जेंडर, कोई भी बेरोजगारी की इस मार से नहीं बच पाया है I
पिछले कई वर्षों से बेरोजगारी व आर्थिक समस्याओं को लेकर छात्र, युवा, मजदूर, किसान, महिलाएं सहित देश के तमाम संगठन अलग-अलग तरीके से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन केंद्र की सरकार सुनने को तैयार नहीं है ऐसे समय में ये वक्त की जरूरत है कि बेरोजगारी के खिलाफ सभी संगठन मिलकर राष्ट्रीय आंदोलन की पहल करें I
देश की बात फाउंडेशन की पहल पर देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने के लिए पिछले वर्ष 19 दिसंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर रोजगार संसद का आयोजन किया गया जिसमें 30 संगठनों ने हिस्सेदारी की, जिनमें आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ), रिवोल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन (आरवाईए), जन अधिकार छात्र परिषद (जेएनसीपी), यूपीएससी प्रतिपूरक प्रयास मंच, आरजेडी स्टूडेंट विंग, जदयू स्टूडेंट विंग, आप यूथ विंग, जिसमे सेंट्र फॉर ट्रेड यूनियन (सीटू), हिन्द मजदूर सभा, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन, श्रमिक विकास संगठन (एसवीएस), सेल्फ एम्प्लोयेड वोमंस एसोसिएशन (सेवा), ट्रेड यूनियन समन्वय समिति (टीयूसीसी), दिल्ली घरेलु कामगार यूनियन, निर्माण मजदूर पंचायत संगम, भारतीय रेलवे मजदूर यूनियन (बीआरएमयू), MCD कर्मचारी संगठन, आल इंडिया एयरपोर्ट कर्मचारी संगठन, हॉस्पिटल कर्मचारी जनरल एसोसिएशन, हरियाणा किसान संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए), सीआईआई, वुमन एडवोकेट्स फाउंडेशन, 4B फाउंडेशन, एस भांबरी एसोसिएट्स, लगाम-एक पहल, सिविल्स कार्नर प्रमुख हैं I
रोजगार संसद में आए सभी संगठनों में यह तय किया कि इस अभियान में देश के सभी संघर्षरत संगठनों को शामिल कर राष्ट्रीय आंदोलन की रूपरेखा बनाने की जरूरत है इसी उद्देश्य से आगामी 23, 24 मार्च को दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन होने जा रहा है जिसमे देशभर के 250 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, NGO's आदि संगठनों के लगभग 700 प्रतिनिधि हिस्सेदारी कर रहे हैं, जिससे हम सभी मिलकर बेरोजगारी के समाधान के लिए राष्ट्रीय रोजगार निति बनवाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन की पहल कर सकें I