श्री सुखमणि साहिब जी का पाठ के साथ मनाया बैसाखी महोत्सव

श्री सुखमणि साहिब जी का पाठ के साथ मनाया बैसाखी महोत्सव

नोएडा। पंजाबी विकास मंच ने कम्युनिटी सेंटर सेक्टर- 71 में  बैसाखी महोत्सव के पर्व को पंजाबी संस्कृति के अनुसार घूम घाम से मनाया। बैशाखी की परम्परानुसार श्री सुखमणि साहिब जी का पाठ किया गया  व उसके तुरंत पश्चात सभी पंजाबी परिवारों ने  श्रद्धापूर्वक कीर्तन किया।

इस अवसर पर पंजाबी विकास मंच चेयरमैन दीपक विज ने उपस्थित पंजाबी परिवारों को वैशाखी पर्व की महता बताते हुए कहा कि हमारा देश विभिन्न त्यौहारों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। इस गुलदस्ते का एक सुंदर फूल है ‘बैसाखी’। उन्होंने बताया कि वैसाखी पंजाब के कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। वैसाखी एक वसंत उत्सव है जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को होता है।इस दिन को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।

इसी दिन सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ईस्वी को आनंदपुर साहिब में ‘पांच प्यारों’ को अमृत छकाकर ‘खालसा पंथ’ की सृजना की थी। पांच प्यारों को अमृत छकाने का मूल उद्देश्य गुलाम मानसिकता की जिंदगी व्यतीत कर रही जनता में ‘चढ़दी कला’ अर्थात जोश और शक्ति की भावना भर कर आत्मबल और शक्ति पैदा करना था ताकि हर प्रकार के जुल्म का डट कर सामना कर सके। इस पंथ के द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी।इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। 

वैसे तो भारत में महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं। बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस प्रकार वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया। बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अतः इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। 

वैसाखी के दिन हिंदु समाज की मान्यता है कि देवी गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। इस लिए देश में सबसे बड़े वैशाखी मेलों में से एक हरिद्वार में आयोजित किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। 
वैशाखी पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लगभग 50 लाख तीर्थयात्री हरिद्वार में ब्रह्म कुंड में आते हैं।

पंजाबी विकास मंच के प्रधान जी. के. बंसल ने बताया कि भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है और इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है। किसान इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। 

इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है। 

इस दिन पवित्र नदियो मे स्नान का अपना अलग महत्व है. सुबह के समय से ही स्नान आदि के बाद सिक्ख लोग गुरुद्वारे जाते है. इस दिन गुरुद्वारे मे गुरु ग्रंथ का पाठ किया जाता है, कीर्तन आदि करवाए जाते है. नदियो किनारे मेलो का आयोजन किया जाता है और इन मेलो मे काफी भीड़ भी उमड़ती है। 

पंजाबी लोग इस दिन अपनी खुशी को अपने विशेष नृत्य भांगड़ा के द्वारा भी व्यक्त करते है. बच्चे बुड़े महिलाए सभी ढोल की आवाज मे मदमस्त हो जाते है और हर्षो उल्लास से नाचते गाते है .

इस वर्ष वैशाखी पर्व को मनाने में विशेष रूप से पीवीएम के सरांक्षक विनोद ग्रोवर, ओ पी गोयल ,चेयरमैन दीपक बिग , प्रधान  जी के बंसल व वरिष्ठ प्रधान सुनील वाधवा जी , पीवीएम के सह मंत्रीसदस्य अमरदीप सिंह शाह और अन्य पदाधिकारी जे ऐम सेठ, संजीव बांधा , हरीश सभरवाल, प्रदीप वोहरा, राजकुमार भट, सचदेवा जी, हरीश भनोट, सुनील वर्मा, संजय खत्री, हरमीत सिंह,अलका सूद, प्रभा जैरथ,एस पी कालरा, पिंकी गुप्ता ने बहुत उत्तम व्यवस्था इस पर्व को यादगार बनाने में निभाई। 

पंजाबी समाज के लगभग 450 -500 लोगों ने इस पर्व में आकर इस उत्सव की  शोभा बड़ाई और वाहे गुरु का आशीर्वाद ग्रहण किया। कीर्तन के बाद उपस्थित लोगों के लिए लंगर प्रसाद की व्यवस्था थी जिस की पंजाबी समाज ने बहुत सराहना की।