रामलीला मंचन का गणेशवंदना के साथ हुआ शुभारंम्भ, स्थानीय सांसद - विधायक रहे उपस्थित

रामलीला मंचन का गणेशवंदना के साथ हुआ शुभारंम्भ, स्थानीय सांसद - विधायक रहे उपस्थित

नोएडा। श्रीराम मित्र मण्डल नोएडा रामलीला समिति द्वारा रामलीला मैदान, सेक्टर-62 में आयोजित रामलीला मंचन के पहले दिन सवर्प्रथम रामलीला मंचन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा एवं विधायक नोएडा पंकज सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। समिति के महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों व उपस्थितजनों का स्वागत किया।अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने सभी उपस्थितजनों का धन्यवाद ज्ञापन किया।रामलीला मंचन की शुरूआत गणेश वंदना एवं पूजन के साथ हुई। गणेश वंदना में कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया । प्रथम दृश्य में देवर्षि नारद को इस बात का घमंड हो गया था कि कामदेव भी उनकी तपस्या व ब्रह्मचर्य भंग नहीं कर पाए। देवर्षि नारद ने यह बात भगवान शंकर को बताई, महादेव ने कहा कि इस बात को भगवान विष्णु के सामने इतने अभिमान के साथ नहीं कहना। शिव के मना करने के बाद भी नारद मुनि ने यह बात भगवान विष्णु को बताई। तब भगवान समझ गए की नारद मुनि में अहंकार आ गया है। इसे खत्म करने के लिए विष्णु ने योजना बनाई। नारद मुनि भगवान विष्णु को प्रणाम कर आगे बढ़ गए। रास्ते में नारद मुनि को एक सुन्दर भवन दिखाई दिया। वहां की राजकुमारी के स्वयंवर का आयोजन हो रहा था। नारद उस जगह पर पहुंच गए और वहां की राजकुमारी विश्वमोहिनी को देखकर मोहित हो गए। भगवान विष्णु की माया के कारण यह सब हो रहा था। राजकुमारी का सुंदर रूप नारद मुनि के तप को भंग कर चुका था। जिस कारण उन्होंने इस स्वयंवर में हिस्सा लेने का मन बना लिया। राजकुमारी को पाने की इच्छा में नारद अपने स्वामी भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे और उनसे उनके समान सुंदर रूप पाने की इच्छा जाहिर की। भगवान विष्णु ने नारद की इच्छा अनुसार उन्हें रूप भी दे दिया। नारद नहीं जानते थे कि भगवान विष्णु का एक वानर रूप भी है। हरि रूप लेकर नारद उस स्वयंवर मे पहुंच गए। उन्हें अपने आप पर इतना अभिमान हो गया था कि उन्होंने एक बार भी अपना चेहरा नहीं देखा। नारद को इस बात का विश्वास हो गया था कि हरि रूप को देखकर राजकुमारी उन्हीं के गले में वरमाला पहनाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ राजकुमारी ने उन्हें छोड़ भगवान विष्णु के गले में माला डाल दी। नारद के रूप को देखकर जब सब लोगों ने उनकी हंसी उड़ाई तो उन्होंने सरोवर में जाकर अपना चेहरा देखा और उन्हें भगवान विष्णु पर क्रोध आया। क्रोध के वश में आकर नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया और कहा कि जैसे मैं स्त्री के लिए धरती पर व्याकुल था वैसे ही आप भी मनुष्य रूप में जन्म लेकर स्त्री के वियोग से व्याकुल होकर धरती पर भटकेंगे और उस समय आपकी वानर ही सहायता करेंगे। लेकिन जब भगवान की माया का प्रभाव हटा तब नारद जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान से तुरंत क्षमा मांगी। ऐसा माना जाता ही कि भगवान विष्णु को राम के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा और माता सीता का वियोग भी सहना पड़ा और वानरों की भी सहायता लेनी पड़ी थी।

भगवान की आरती के साथ पहले दिन की रामलीला का समापन होता है।  इस अवसर पर  समिति के चेयरमैन उमाशंकर गर्ग, उपमुख्य संरक्षक राजकुमार गर्ग, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सहकोषाध्यक्ष अनिल गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल, बजरंग लाल गुप्ता, पवन गोयल, तरुण राज अग्रवाल, आत्माराम अग्रवाल, चौधरी रविन्द्र सिंह,डॉ. एस.पी.जैन,गौरव मेहरोत्रा, सलाहकार मुकेश अग्रवाल, मनोज शर्मा, मुकेश गोयल, राम बारात संयोजक एस एम गुप्ता, शांतनु मित्तल, संजय शर्मा, मनीष गुप्ता, चक्रपाणि गोयल,अर्जुन प्रजापति,अर्जुन अरोड़ा, मीडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश गौड़, मुकेश गुप्ता, ओमवीर शर्मा, रंजीव गुप्ता, सुशील गोयल,विजय शुक्ला,विनय हिन्दू, अविनाश सिंह, रामविलास गर्ग, तिलकराज मित्तल आदि सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्तिथ रहे। 

समिति के महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने बताया कि कल 27 सितंबर को पृथ्वी पर राक्षसों का उतपात, देवताओं द्वारा विष्णु जी से पार्थना, राम जन्म बधाई उत्सव, भगवान शिव द्वारा रामलला के दर्शन, नामकरण संस्कार, गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा के लिए जाना, ऋषि विश्वामित्र द्वारा राम लक्ष्मण को यज्ञ हवन की रक्षा के लिए दशरथ से मांग कर लाना, मारीच, सुभाहु एवं ताड़का वध आदि लीलाओं का मंचन किया जायेगा।