शिव भोलेनाथ और सावन का अनोखा संगम

सावन मास की महिमा बहुत है भगत जनों की भक्ति का फल प्राप्त होने का मास, सावन मास है शिव की भक्ति में भगत जन विलीन हो जाते हैं शिव भोलानाथ बाबा के वरदान पाने का यह मास है शिव शंभू सहज भक्तों को भक्ति का फल देते हैं खास भगत जन सावन मास में शिवलिंग पर जल और फल अर्पित करते हैं शिवजी की आराधना व भक्ति से अनेक मनोकामनाएं पूर्ण होती है शिव निराकार अनादि है अविनाशी है जिसकी पूजा अर्चना शिवलिंग के रूप में की जाती है शिव भगवान परमपिता जिसका नाम शिव है और लिंग अर्थात ज्योति स्वरुप है जिसको स्वयं भू भी कहते हैं स्वयं भू अर्थात स्वयं भूमि पर अवतरित होते हैं कलयुग के अंतिम समय, यादगार में शिवरात्रि मनाते हैं शिव स्वयंभू अवतरित होकर सबको तीसरा नेत्र प्रधान करते हैं अर्थात दिव्य बुद्धि रूपी नेत्र हर भगत जन को देते हैं, उस दिव्य नेत्र से हम स्वयं सदा निराकार शिव से मंगल मिलन मना सकते हैं वह स्वयं धरा पर अवतरित हो आसुरी बुद्धि का विनाश करते हैं जब भगत-जन जल अर्पण करते हैं अपनी भावनाओं में लीन होकर, अगर साथ साथ उस परमात्मा पिता को अपने नकारात्मक संकल्प ओर विकार अर्पण करें
शिव भोलेनाथ को नीलकंठ भी कहते हैं क्यो की उन्हों ने सभी की बुराइयों का जहर पी लिया. भोलानाथ सहज ही अपने बच्चों की भावनाए पूजा अर्चना को दिल से स्वीकार कर उन्हें भक्ति का फल देते हैं शिव भोलेनाथ से हमारा एक गहरा संबंध भी है वह हमारा सच्चा पिता है हम उसके बच्चे हैं वह हम बच्चों की झोली ज्ञान रत्न,सुख ओर शांति से भरपूर करते हैं सावन मास में उस परमपिता शिव से सच्चा नाता जोड़ अपने जीवन को, अपने चरित्र को और अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाएं।