एमिटी विश्वविद्यालय में ‘विजुअल आर्ट में नवाचार’ विषय पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

एमिटी विश्वविद्यालय में ‘विजुअल आर्ट में नवाचार’ विषय पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

नोएडा।PNI News। एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट द्वारा छात्रों को विजुअल आर्ट के क्षेत्र में हो रही प्रगती, नवाचार, नये अभ्यासों से अवगत कराने हेतु ‘विजुअल आर्ट में नवाचार’ पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में यूएसए के वेर्स्टन कैरोलीना विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट एंड डिजाइन के प्रो जॉन जीचा, नई दिल्ली के कॉसेप्ट कम्यूनिकेशन लिमिटेड की वरिष्ठ उपाध्यक्षा सुश्री इशा गुहा, बड़ौदा की द एम एस विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट के पेटिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख श्री इंद्राप्रमित रॉय, बीएचयू के हिस्ट्री ऑफ आर्ट एंड टूरिज्म मैनेजमेंट विभाग के प्रमुख डा प्रदोष के मिश्रा, जेयूएक्सटी कंसलटेंट के सीईओ श्री संजय तिवारी, राष्ट्रीय सहारा के चीफ आर्ट डायरेक्टर श्री जय प्रकाश त्रिपाठी ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट और एमिटी स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोनॉजी की चेयरपरसन सुश्री दिव्या चौहान और एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट के महानिदेशक डा प्रदीप जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया।

यूएसए के वेर्स्टन कैरोलीना विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट एंड डिजाइन के प्रो जॉन जीचा ने अंतःविषयक सवंर्धित अनुभवों को साझा करते हुए कहा कला जो संशोधित करती है वह कलात्मक उत्पाद के लिए स्पर्शरेखा नही केद्रीय है। उन्होनें विजुअल आर्ट में नवाचार के संर्दभ में चार प्रोजेक्टों, च्यु ऑन इट, एप्रील ग्रेइमैन, विक्टरी ओवर सन और वर्किंगमैन कलेक्टीव के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।

नई दिल्ली के कॉसेप्ट कम्यूनिकेशन लिमिटेड की वरिष्ठ उपाध्यक्षा सुश्री इशा गुहा ने संबोधित करते हुए कहा कि संचार उद्योग में कुछ भी तेजी से परिवर्तीत नही होता। आपके द्वारा की गई रचना आपके या किसी अन्य के अनुभव, यात्रा पर आधारित होनी चाहिए। अलग अलग चीजों, के विभिन्न समस्याओं के अलग तरह के निराकरण को ढूंढे। वर्तमान में सभी कुछ डिजिटल विश्व का भाग है इसलिए अपने डिजिटल स्पेस के उपयोग और पारंपरिक स्पेस के उपयोग को समझें। अंतःविषयक अवधारणा को विचार के स्तर, शोध के स्तर पर ले जाये। रचनात्मक व्यक्ति को सदैव बृहद स्तर पर पर देखना होगा। सुश्री गुहा ने कहा कि हमें डिजाइन के अलावा व्यापार आदि को भी समझना होगा, आज कोई भी व्यक्ति नेपथ्य में कार्य नही कर सकता, बाजार वाद का दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस व्यावसायिक युग में किसी भी तरह के कार्य के लिए आपको पूरे व्यापार की जानकारी होनी चाहिए।

बड़ौदा की द एम एस विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट के पेटिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख श्री इंद्राप्रमित रॉय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि परिवर्तन के इस दौर में हर रोज अनावरण और बोलचाल मे ंपरिवर्तन आ रहा है और इस परिवर्तन ने रचनात्मकता को भी प्रभावित किया है। दृश्यता प्रकृति का दृश्य अनुभव है। उन्होेने कहा कि छात्रों को परिवर्तीत दृश्य वास्तविकता को अपनाना चाहिए और नई शैली, नये प्रकार, रचनात्मकता और नवोन्मेष को समझे। उन्होनें कहा कि निरंतर बेहतरी क ेलिए नवाचार आवश्यक है, क्षमता के अनुसार कई प्रकार की कलाएं और कलाकार है और नवीनता तकनीक या माध्यम में नही रहती।

बीएचयू के हिस्ट्री ऑफ आर्ट एंड टूरिज्म मैनेजमेंट विभाग के प्रमुख डा प्रदोष के मिश्रा ने कहा कि हम कलाकार कुछ ना कुछ नवचार करता है चाहे वह अनिवार्य रूप से या कभी कभार। कई बार आपके पास कई विकल्प होते है। वर्तमान समय में बहुत सारी प्रौद्योगिकी सहायता उपलब्ध है। उन्होनें रचनात्मक अभ्यास, समुदाय और कक्षा शिक्षण पर व्याख्यान दिया।

जेयूएक्सटी कंसलटेंट के सीईओ श्री संजय तिवारी ने कहा कि रचनात्मक विचारधारा बहुविषयक दृष्टिकोण से जुड़ी होती है। रचनात्मक विचार के लिए केवल बाक्स के बाहर विचार नही करना है बल्कि बॉक्स के अंदर, अन्य तरफ भी विचार करना है। रचनात्मक विचारों का कार्यान्वयन आवश्यक है।

राष्ट्रीय सहारा के चीफ आर्ट डायरेक्टर श्री जय प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कला एक विचार है जिस प्रकार प्रकृति में कई रंग और आवाजें है और हम कुछ रंगो या आवाजों को देख सुन पाते है और उसी के अनुरूप कार्य करते है। उनहोनें छात्रों से कहा कि विजुअल आर्ट में अपनी कला में रचनात्मकता को बढ़ावा दे, तकनीक का उपयोग करें।

एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट और एमिटी स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोनॉजी की चेयरपरसन सुश्री दिव्या चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में हर क्षेत्र नवाचार को प्रमुखता दी जा रही और एमिटी मे ंहम फाइन आर्टस के छात्रों को क्षेत्र में हो रहे नवाचार और प्रगति की जानकारी प्रदान करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी नेे हम सभी को प्रभावित किया है।

इस सम्मेलन के अंर्तगत ‘‘ कहानी को प्रभावी ढंग से बताने के लिए संचार डिजाइन में भारतीय आदिवासी और लोक कला रूपों का चित्रण’’, ‘‘हैदराबाद में कला संग्रह और अवधि का ऐतिहासिक अवलोकन’’, भारत की लोक औ जनजातीय कला’’ ‘‘भारतीय ग्राफिक उपन्यासो का विकास’’ आदि विषयों पर पेपर प्रस्तुत किये गये।