बेहतर साक्षरता दर से जनसंख्या बढ़ोतरी, गरीबी और लिंगभेद जैसी समस्याओं से निपटा जा सकता है - शैली सेठी
शैली सेठी द्वारा सुबह झुग्गियों में जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे, उन्हे विधालय भेजने की ओर प्रयास किया गया। शैली सेठी ने गंगा पुरम की झुग्गियों में पहुँच बच्चो के माता पिता एवं उपस्थित परीजनो से बात की, जिस में झुग्गियों में करीब 50 बच्चे ना स्कूल जाते हैं ना ही उनका स्कूल एवं आंगनवाड़ी में एड़मिशन तक हुआ है, ज़िसमे लड़के ओर लड़कियों की संख्या लगभग बराबर थी, अधिकतर बच्चे 5 साल से करीब 13 वर्ष की आयु के है ,जो की अशिक्षा के अंधकार में जीने को मजबूर है, सभी परीजनो ने बच्चो को स्कूल ना भेजने के अनेको बहाने दिये,परंतु शैली सेठी ने सभी अभिभावको को बच्चो को सरकारी स्कूल एवं आंगनवाड़ी में भेजने ओर उन्हे पढाने पर जोर दिया।
शैली सेठी ने बताया की भारत में साक्षरता को बढ़ाने के लिए सर्वशिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना, राजीव गांधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाए गए, मगर सफलता आशा के अनुरूप नहीं मिली। भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अशिक्षित है शिक्षा का अधिकार कानून के कारण यद्यपि बच्चे स्कूलों तक पहुंच रहे हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है जिसका समाधान भी जरूरी हैं, शिक्षा में केवल पाठ्य पुस्तकें सीखना शामिल नहीं है बल्कि इसमें मूल्यों, कौशलों तथा क्षमताओं में भी वृद्धि की विधि और अपेक्षा शामिल है। इससे व्यक्ति को अपने करियर और साथ ही प्रगतिशील मूल्यों के साथ नए समाज के निर्माण में एक उपयोगी भूमिका निभाने में सहायता मिलती है। बेहतर साक्षरता दर से जनसंख्या बढ़ोतरी, गरीबी और लिंगभेद जैसी समस्याओं से निपटा जा सकता है। दुनिया भर में प्राथमिक शिक्षा पर खर्च किया जाने वाला दस फीसद धन बर्बाद हो जाता है, क्योंकि शिक्षा की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता। इस कारण गरीबी के चलते अक्सर चार में से एक बच्चा अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा की पाठ्य सामग्री भी नहीं पढ़ सकता। देश दो तरह की शिक्षा प्रणाली चल रही है- एक उनके लिए जो इसे खरीद सकते हैं, और दूसरी उनके लिए, जो सरकारी स्कूल न हों तो निरक्षर रह जाने के लिए अभिशप्त होंगे, ऐसे में फिर भी इतने अधिक बच्चो का अनपढ़ होना बेहद चिंता का विषय है,अत् सरकार से निवेदन है की झुग्गियों आदि में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये ,ज़िसमे अशिक्षित बच्चो को विधायल से जोड कर स्कूल भेज,अज्ञानता के अंधकार को दूर किया जा सके।


