स्वामी विरजानंद ने दयानन्द को दयानंद बनाया-अनिल आर्य

स्वामी विरजानंद ने दयानन्द को दयानंद बनाया-अनिल आर्य

गाजियाबाद! केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "हिन्दी दिवस की सार्थकता" व स्वामी विरजानंद जी की 153 वीं पुण्यतिथि पर ऑनलाइन गोष्ठी आयोजित की गई । यह कोरोना काल में 281 वां वेबिनार था ।

आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा ही नहीं अपितु यह हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है । कोई भी राष्ट्र अपनी भाषा,संस्कृति व ध्वज के बिना आगे नहीं बढ़ सकता । उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने गुजराती होते हुए भी सब लेखन कार्य हिन्दी में ही किया । स्वामी जी का मानना था कि हिन्दी ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पुरो सकती है ।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने स्वामी विरजानंद जी की 153 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह व्याकरण के सूर्य थे, उन्होंने ही महर्षि दयानन्द जी को शिक्षा देकर महान विद्वान बनाया जिसका प्रकाश समस्त भूमंडल पर पड़ा और आर्य समाज की स्थापना कर विश्व पर उपकार किया ।

राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आज भी सरकारी काम काज में अंग्रेजी का बाहुल्य दिखाई देता है जिसे तोड़ने की आवश्यकता है।

मुख्य अतिथि साहित्यकार सविता चड्डा व अध्यक्ष महावीर सिंह आर्य ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में हिन्दी अधिकारी ही हिन्दी में कार्य करता दिखाई देता है इसे आम जन की भाषा व स्वीकार्यता लाने की आवश्यकता है । न्यायालय की भाषा व निर्णय हिन्दी में ही होने चाहिये ।

ओम सपरा,अनिता रेलन,विमल चड्डा(नेरोबी) ने भी अपने विचार रखे । सभी ने हिंदी में कार्य करने व दैनिक जीवन में हिन्दी को अपनाने का संकल्प लिया ।

गायिका रजनी चुघ,प्रवीना ठक्कर, जनक अरोड़ा, चंद्र कांता आर्या,कुसुम भंडारी, अशोक गुगलानी, आशा आर्या,रवीन्द्र गुप्ता आदि ने गीत सुनाये ।
हापुड़ से आनन्द प्रकाश आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता, राज गुलाटी, ईश्वर देवी आदि उपस्थित थे ।