ब्रेस्ट कैंसर एक मैराथन है, स्प्रिंट नहीं: डॉ. डी.के. गुप्ता

ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ जागरूकता की दौड़ में बोले फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन
बायोडायवर्सिटी पार्क में आइक्रिस फार्मा की ओर से ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस रन का आयोजन, स्वस्थ समाज और समय पर जांच के लिए लोगों से किया गया आह्वान।
नोएडा। आइक्रिस फार्मा नेटवर्क की ओर से रविवार सुबह बायोडायवर्सिटी पार्क सेक्टर- 93 नोएडा में “ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस रन” का चौथा संस्करण आयोजित किया गया। इस प्रोमो रन में फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता मुख्य अतिथि रहे। इस मौके पर उन्होंने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि कैंसर एक मैराथन है, स्प्रिंट नहीं। ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ यह सिर्फ एक दौड़ नहीं, बल्कि एक मिशन है। स्वस्थ समाज और ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम।
डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर दुनिया में महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। भारत में हर चार मिनट में एक महिला इस बीमारी का शिकार होती है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम 2023 और आईसीएमआर के आंकड़ों (2024) के अनुसार वर्ष 2025 तक देश में लगभग ढाई लाख नए ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि अधिकतर मरीज देर से डॉक्टर तक पहुंचते हैं। इसलिए समय पर पहचान (अर्ली डिटेक्शन) बहुत जरूरी है।उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2022 में दुनियाभर में लगभग 23 लाख नए मामले दर्ज किए गए।
जबकि 6.66 लाख महिलाओं की मौत इस बीमारी से हुई। वर्ष 2022 में देश में 1,92,020 नए मामले सामने आए और करीब 98,337 महिलाओं की मौत हुई। ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब स्तन की कुछ कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गांठ (ट्यूमर) का रूप ले लेती हैं। इसलिए किसी भी नई गांठ या स्तन में बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है।
अगर परिवार में किसी करीबी सदस्य को ब्रेस्ट या ओवरी कैंसर हुआ है या BRCA1/BRCA2 जैसी जीन म्यूटेशन मौजूद है, तो जोखिम और बढ़ जाता है। 30 साल की उम्र के बाद पहला बच्चा होना, बच्चे न होना या स्तनपान न कराना भी जोखिम बढ़ाने वाले कारक हैं। वहीं, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, शराब का सेवन और लंबे समय तक हार्मोनल थेरेपी का उपयोग भी ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को बढ़ा सकता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि कई बार महिलाओं में कोई स्पष्ट कारण नहीं होता, इसलिए हर महिला को सतर्क रहना और नियमित जांच कराना बेहद जरूरी है। ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य लक्षणों में स्तन या बगल में नई गांठ महसूस होना, स्तन के आकार या स्वरूप में बदलाव, त्वचा में सिकुड़न या खिंचाव शामिल हैं।
निप्पल का अंदर की ओर मुड़ जाना, लगातार स्राव (खासकर खून आना), त्वचा पर लालपन या घाव दिखाई देना भी चेतावनी के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, स्तन के किसी हिस्से में लगातार दर्द रहना भी लक्षण हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए मैमोग्राफी जांच कराने की सलाह दी जाती है, जो 70 से 74 वर्ष की उम्र तक जारी रहती है। भारत में 50 से 69 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को स्क्रीनिंग के लिए प्राथमिकता दी जाती है। महिलाएं किसी भी बदलाव को अनदेखा न करें। उम्र अनुसार नियमित जांच कराएं। स्वस्थ वजन बनाए रखें। नियमित व्यायाम करें और स्तनपान को बढ़ावा दें। परिवार में अगर कैंसर का इतिहास है तो जेनेटिक काउंसलिंग जरूर कराएं अगर किसी बदलाव का एहसास हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर दुनिया में महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। उन्होंने बताया कि समाज में अब भी यह सोच है कि ब्रेस्ट हेल्थ या स्तन स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना गलत है। यह धारणा बदलनी होगी। हमें इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए। ताकि महिलाएं जागरूक हो सकें। रोकथाम, जागरूकता और एक-दूसरे की मदद करना ही कैंसर को हराने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह दौड़ सिर्फ फिटनेस और प्रेरित जीवनशैली का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज में एकता और सकारात्मकता का संदेश देती है। ब्रेस्ट कैंसर एक मैराथन है, स्प्रिंट नहीं। उन्होंने बताया कि स्प्रिंट से तात्पर्य है कि तेज रफ्तार से छोटी दूरी की दौड़ तय करना।
खेलों में जब कोई खिलाड़ी कम दूरी जैसे 100 मीटर या 200 मीटर की दौड़ पूरी ताकत से बहुत तेज गति में दौड़ता है, तो उसे स्प्रिंट कहा जाता है। जबकि मैराथन का मतलब लंबी दूरी की दौड़ होती है। इसलिए कैंसर जैसे बीमारी के इलाज ने मैराथन वाला जज्बा यानि धैर्य और इलाज की निरंतरता जरूरी है। मतलब है कि कैंसर से लड़ाई कोई छोटी और तेज रफ्तार की जंग नहीं, बल्कि लंबे समय तक चलने वाला संघर्ष है। जिसमें धैर्य, निरंतरता और मानसिक शक्ति की ज़रूरत होती है। कैंसर के खिलाफ लड़ाई में हर छोटा कदम एक नई उम्मीद लाता है। उन्होंने उपस्थित धावकों से कहा कि समय पर जांच ही सबसे अच्छी सुरक्षा है।
स्वस्थ जीवनशैली और व्यायाम है जरूरी:
डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा होना चाहिए। आज की यह दौड़ सिर्फ एक रेस नहीं, बल्कि जागरूकता की ऐसी चेन रिएक्शन है जो पूरे शहर और देश में सकारात्मकता फैलाएगी।
सभी कैंसर सर्वाइवर्स और उनके परिवार यह संकल्प लें कि खुद भी सतर्क रहेंगे और दूसरों को भी समय पर जांच कराने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने रन शुरू होने से पहले प्रतिभागियों को कुछ जरूरी सुझाव भी दिए। कहा कि रन के लिए सही जूते पहनें, ताकि पैरों को पूरा सहारा मिले। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और हल्के, आरामदायक कपड़े पहनें। दौड़ से पहले हल्की स्ट्रेचिंग और वार्म-अप करें ताकि चोट से बचा जा सके। अगर दौड़ते समय किसी को असुविधा महसूस हो तो खुद पर दबाव न डालें। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।