आयुर्वेद को मिली नई दिशा - नोएडा में ‘आयुर्नवदिशा’ वैज्ञानिक संगोष्ठी का सफल आयोजन

आयुर्वेद को मिली नई दिशा - नोएडा में ‘आयुर्नवदिशा’ वैज्ञानिक संगोष्ठी का सफल आयोजन

विश्व आयुर्वेद परिषद, उत्तर प्रदेश की गौतम बुद्ध नगर इकाई द्वारा 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर ‘आयुर्नवदिशा’ वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह विशेष आयोजन एक दिवसीय संगोष्ठी के रूप में कैलाश अस्पताल सेक्टर 71, नोएडा में हुआ। इस आयोजन में उपस्थित 130 प्रतिभागियों में देश भर के प्रतिष्ठित चिकित्सक, आयुर्वेद संस्थानों के शिक्षणगण, आयुर्वेद छात्र व शोध विद्वान शामिल थे।

वैज्ञानिक कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि डॉ. महेश व्यास (डीन पी एच डी)अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान – नई दिल्ली), डॉ. प्रेमचंद शास्त्री (अध्यक्ष, संस्कृत भारती न्यास), डॉ. पल्लवी शर्मा (डायरेक्टर, कैलाश ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स), डॉ. सुरेन्द्र चौधरी (राष्ट्रीय सचिव विश्व आयुर्वेद परिषद) तथा डॉ.प्रीति छाबड़ा (गुरु, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ व वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक, गंगाराम अस्पताल) द्वारा धन्वंतरि वंदना व दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।

डॉ. महेश व्यास ने बताया कि आयुर्वेद विद्यार्थियों, चिकित्सकों व शोधार्थियों को सफल होने के लिए आयुर्वेद विज्ञान के शाश्वत ज्ञान को चरक संहिता, सुश्रुत संहिता व अष्टांग हृदय आदि को आत्मसात करना चाहिए।

डॉ. पल्लवी ने कहा कि आयुर्वेद विज्ञान और एलोपैथी को एक-दूसरे की पूरक चिकित्सा के रूप में समाज के स्वास्थ्य के लिए कार्य करना चाहिए।भविष्य में इस प्रकार के आयोजन कराने में सहयोग करने की बात कही ।
डॉ. प्रेम चंद शास्त्री ने कहा कि आयुर्वेद विज्ञान को समझने व प्रयोग करने के लिए विद्यार्थियों को संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है।
डॉ. प्रीति छाबड़ा ने आजकल की जीवनशैली से संबंधित शारीरिक व मानसिक रोगों तथा विशेषकर महिलाओं में पीसीओडी जैसी समस्याओं पर प्रकाश डाला।

डॉ. सुरेन्द्र चौधरी ने विश्व आयुर्वेद परिषद, गौतम बुद्ध नगर की नवगठित कार्यकारिणी की घोषणा की तथा पदाधिकारियों को उनके दायित्वों और समाज के प्रति कर्तव्यों का सामंजस्य बनाते हुए आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए मार्गदर्शन दिया।

वैज्ञानिक संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता डॉ. रानी गुप्ता (स्त्री रोग विशेषज्ञ) ने ‘पीसीओडी के निदान व चिकित्सा’, डॉ. शादाब खान (मानस रोग विशेषज्ञ) ने ‘मानस रोग व आयुर्वेद चिकित्सा’ और डॉ. सुरेन्द्र चौधरी ने ‘आयुर्वेदाचार्य डिग्री के बाद आयुर्वेद में संभावनाएं’ विषय पर व्याख्यान दिया।

डॉ.प्रीति सारस्वत ने बताया कि आयुर्वेद केवल उपचार पद्धति मात्र नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी पड़ावों पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की व्यवस्था है। संगोष्ठी में आयुर्वेद संबंधित विभिन्न विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए गए तथा सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों को सम्मानित किया गया।

इस विशेष अवसर पर डॉ. शालिनी राय और डॉ. अमरीश प्राध्यापकगण– अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली तथा डॉ. अतुल की गरिमामयी उपस्थिति रही।

‘विश्व आयुर्वेद परिषद, गौतम बुद्ध नगर’ की नई कार्यकारिणी में संरक्षकगण डॉ.रूचि गुलाटी और डॉ. सत्यदेव आर्य , अध्यक्ष डॉ. प्रीति सारस्वत, उपाध्यक्ष डॉ. अमित अधाना, महासचिव डॉ. शुभम गर्ग सचिव डॉ. अनुपमा शर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ. अंशु शर्मा और प्रभारी महिला प्रकोष्ठ डॉ. दीपिका अनिल उपस्थित रहे।