शिक्षाविद् अतुल कोठारी को विद्या वाचस्पति (डॉक्टरेट) की मानद उपाधि

शिक्षाविद् अतुल कोठारी को विद्या वाचस्पति (डॉक्टरेट) की मानद उपाधि

नोएडा।PNI News। मानव रचना अंतर्राष्ट्रीय शोध एवं अध्ययन संस्थान, फ़रीदाबाद के 17वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा व भाषा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि (डॉक्टरेट) से सम्मानित किया गया है। यह उपाधि उन्हें हरियाणा के महामहिम राज्यपाल मा. बंडारु दत्तात्रेय जी द्वारा प्रदान की गई है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रशांत भल्ला, कुलपति संजय श्रीवास्तव की उपस्थिति रही। श्री अतुल कोठारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज आपका दीक्षांत समारोह है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'दीक्षा का अंत'; मतलब आपकी शिक्षा पूरी हो गयी है। परंतु, भारतीय परंपरा में दीक्षांत कार्यक्रम में आचार्य; विद्यार्थी को उपदेश देते थे सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। अर्थात् अब जीवन में सत्य का आचरण करें, धर्म का पालन करें तथा स्वाध्याय में आलस्य ना करें। यही भारतीय परंपरा रही थी। उपाधि प्राप्त करने वाले मानव रचना संस्थान विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि अपने जीवन में सत्य का धर्मानुसार पालन करें, अर्थात कर्तव्य का ठीक प्रकार से निर्वहन करें, जिससे जीवन में शुचिता रहेगी, संतोष होगा, तो कीर्ति भी आपके स्वागत के लिए उत्सुक रहेगी।

अतुल कोठारी पिछले दो दशक से शिक्षा व भाषा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा दिए गए सुझावों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में भी सम्मिलित किया गया है। श्री कोठारी का मानना है कि भारत की शिक्षा भारत की संस्कृति, प्रकृति व प्रगति के अनुरूप होनी चाहिए। श्री कोठारी, “देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा", "माँ, मातृभूमि व मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं" तथा "समस्या नहीं, समाधान की चर्चा करो" जैसे विचार-सूत्रों के प्रणेता हैं।