ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम 2019 और नियम 2020 का प्रावधान पर हुआ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

एमिटी कॉलेज ऑफ कामर्स एंड फाइनेंस द्वारा समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के सहयोग से ‘‘ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 और नियम 2020 का प्रावधान’’ पर जानकारी प्रदान करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के निदेशक डा आर गिरिराज, लॉयर्स कलैक्टीव की उप निदेशक और अधिवक्ता सुश्री तृप्ती टंडन, इंडिया एचआईवी एड्स एलांयस में ट्रांसजेडर वेलबिंग और एडवोकेसी की सलाहकार श्रीमती अमृता सरकार, ललित सूरी हॉस्पीटैलिटी गु्रप के विविधता, समानता और समावेश प्रमुख श्री अक्षय त्यागी, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी कॉलेज ऑफ कामर्स एंड फाइनेंस की निदेशक डा सुजाता खंडाई द्वारा किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के निदेशक डा आर गिरिराज ने कहा कि वर्तमान समय में यह कार्यशाला हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ट्रांसजेंडर, हमारे समाज और विश्व का एक हिस्सा है और उनके भी अधिकार है इससे नकारा नही जा सकता। संविधान ने हम सभी को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिया है। प्राचीन समय से भारतीय संस्कृती में सभी को समान अधिकार प्राप्त थे और हर व्यक्ति का अपना महत्व था। भारतीय संस्कृती समाज के हर व्यक्ति एवं वर्ग का सम्मान करता है इसलिए हमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इस अधिनियम और नियम के उपरांत समाज मेें बदलाव आया है और आज ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी अन्य लोगो की तरह शिक्षा ग्रहण करके, रोजगार करके देश के विकास में सहायक बन रहे है।
लॉयरस कलैक्टीव की उप निदेशक और अधिवक्ता सुश्री तृप्ती टंडन ने जानकारी देते हुए कहा कि देश के कानून ने ट्रांसजेंडर समुदाय को थर्ड जेंडर के रूप में स्वीकार करते हुए उन्हे राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के फैसले के माध्यम से कानूनी मान्यता प्रदान की। ट्रांसजेंडर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला, अन्य अधिकार क्षेत्र में भी पालन किया गया। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के तहत न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उन्हें पुरूष, महिला या ट्रांसजेंडर की कानूनी मान्यता प्रदान की गई, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान आरक्षण प्रदान और राज्य एवं केन्द्र सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सम्मुख आ रही समस्याओं के निवारण हेतु निर्देश प्रदान की गये। सुश्री टंडन ने ‘‘ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 के 9 चैप्टरों और 23 सेक्शनों के संर्दभ में विस्तृत जानकारी प्रदान की। सुश्री टंडन ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की परिभाषा, भेदभाव पर प्रतिबंध, निवास के अधिकार, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थय सेवा, आइडेंटीटी से जुड़ा सर्टिफिकेट और अपराध व दंड की जानकारी भी दी।
एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने संबोधित करते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सदियों से नजर अंदाज किया जा रहा है जबकी उनके भी अधिकार है। समाजिक कुरितियों के कारण समाज के व्यक्ति उनसे भेदभाव बरतते थे और कई केसों में उन्हे बचपन में ही घर छोड़ना पड़ा जिससे वे पारिवारिक प्रेम से वंचित हुए। किंतु आज अधिनियम और नियम के उपरांत समाज के वर्गो में विशेष कर युवा वर्ग में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता विकसित हुइ है और समावेशी समाज में उन्हे मुख्य धारा में जोड़ा जा रहा है। डा बंद्योपाध्याय ने कहा कि अधिनियम और नियम के निर्माण के उपरंात भी सबसे जरूरी उसका कार्यान्वयन है। इस प्रकार की कार्यशाला के जरीए हम छात्रों को समाज से जुड़े वास्तविक मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाते है।
एमिटी कॉलेज ऑफ कामर्स एंड फाइनेंस की निदेशक डा सुजाता खंडाई ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हर व्यक्ति समाज में और विश्व में रहना चाहता है और किसी के प्रति किसी भी तरह का भेदभाव सामाजिक और कानून के अनुरूप उचित नही है। एमिटी मे ंहम इस प्रकार की कार्यशालाा के जरीए छात्रों को लैगिंग असमानता रोकने, समान अधिकारों में उनकी भूमिका के प्रति सजग बनाते है।
कार्यशाला में इंडिया एचआईवी एड्स एलांयस में ट्रांसजेडर वेलबिंग और एडवोकेसी की सलाहकार श्रीमती अमृता सरकार, ललित सूरी हॉस्पीटैलिटी गु्रप के विविधता, समानता और समावेश प्रमुख श्री अक्षय त्यागी, मानवाधिकार मुद्दे के सलाहकार मोहम्मद इस्लाम, हिजरा प्रोजेक्ट की संस्थापक सुश्री इना गोयल और एमिटी कॉलेज ऑफ कामर्स एंड फाइनेंस की एसोसिएट प्रोफेसर डा गीता मिश्रा ने अपने विचार रखे।