'धरोहर' में झलकी भारतीय शास्त्रीय कला की अनमोल छटा

'धरोहर' में झलकी भारतीय शास्त्रीय कला की अनमोल छटा

तपस्या संगीत नृत्य कला केंद्र के तत्वावधान में हुआ भव्य आयोजन, संतूर-तबला संग कथक ने मोहा दर्शकों का मन

नोएडा। तपस्या संगीत नृत्य कला केंद्र के तत्वावधान में तथा AAFT यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल चेंबर ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री (ICMEI) के सहयोग से “धरोहर” शीर्षक से भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की भव्य संध्या का आयोजन मारवाह स्टूडियो, फिल्म सिटी, नोएडा में किया गया।

इस कार्यक्रम ने भारतीय शास्त्रीय कला की आत्मा को साकार किया। संगीत और नृत्य की इस अद्भुत संध्या ने दर्शकों को परंपरा, भाव और सौंदर्य की ऐसी अनुभूति दी जो लंबे समय तक स्मरणीय रहेगी।

बच्चों के शास्त्रीय गायन एवं कथक नृत्य के पश्चात प्रस्तुत हुआ एक मनोहारी कथक बैलेट, जिसे “The Awakening of Kabir Within” शीर्षक के तहत लिली भट्टाचार्जी की शिष्याओं ने प्रस्तुत किया। इस नृत्य नाट्य के माध्यम से संत कबीर के जीवन दर्शन, आत्मचेतना और आध्यात्मिक जागृति को अत्यंत भावनात्मक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया।

संध्या का मुख्य आकर्षण रहे विख्यात संतूर वादक पं. तरुण भट्टाचार्य, जिन्होंने अपने मनमोहक संतूर वादन से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबला पर संगत कर रहे थे प्रसिद्ध तबला वादक पं. प्रोसेनजीत पोद्दार। दोनों कलाकारों की जुगलबंदी ने संगीत प्रेमियों को स्वरों और लयों की अद्भुत यात्रा पर ले गई।

आयोजन के अवसर पर तपस्या के संस्थापक सुब्रत दास एवं लिली भट्टाचार्य ने कहा कि “धरोहर” का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की अमूल्य परंपराओं का संरक्षण करना तथा नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम आने वाले वर्षों में एक सांस्कृतिक श्रृंखला के रूप में देशभर में आयोजित किया जाएगा। AAFT के संस्थापक संदीप मारवाह जी ने कलाकारों को सम्मानित कर इस आयोजन को अद्भुत आयोजन की संज्ञा दी। 

कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने कलाकारों को स्टैंडिंग ओवेशन दिया और इस आयोजन को भारतीय संस्कृति का जीवंत उत्सव बताया।