उ.भा. में पहली बार फेफड़ों की कोन बीम सीटी गाइडेड क्रोया-बायोप्सी को दिया सफलतापूर्वक अंजाम

उ.भा. में पहली बार फेफड़ों की कोन बीम सीटी गाइडेड क्रोया-बायोप्सी को दिया सफलतापूर्वक अंजाम

नोएडा: फोर्टिस नोएडा ने उत्तर भारत में पहली बार फेफड़ों की कोन बीम सीटी (सीबीसीटी) गाइडेड क्रोया-बायोप्सी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस अत्याधुनिक प्रक्रिया की मदद से डॉक्टरों ने 70-वर्षीय मरीज के लंग कैंसर की पुष्टि की है। इससे पहले, शहर के अन्य कई अस्पतालों में अनेक बार की गई जांच में भी इसका पता नहीं चल पाया था।

मरीज को, जो कि क्रोनिक स्मोकर थे, सांस फूलने और तेजी से वज़न गिरने की शिकायत के साथ फोर्टिस नोएडा लाया गया था। अन्य अस्पतालों में पिछली जांच से कोई नतीजा नहीं निकला था। पुराने टेस्ट से केवल कुछ इंफेक्शन वगैरह का ही संकेत मिला था। फोर्टिस नोएडा में मरीज के PET CT स्कैन से उनके फेफड़े में एक घाव का संदेह हुआ। लेकिन, उनके मामले में फेफड़ों को पंक्चर के चलते जोखिम और साथ ही, अपर्याप्त या नॉन-डायग्नॉस्टिक सैंपल प्राप्त होने के मद्देनज़र बायोप्सी का विकल्प चुना गया।


 
इस मामले में अन्य कई डायग्नॉस्टिक चुनौतियों को भी पेश किया – पिछले टेस्ट, जिनमें ब्रोन्कोस्कोपी और फ्लूड एनेलिसिस भी शामिल थे, किसी भी निर्णायक जानकारी को उपलब्ध नहीं करा पाए थे। यहां तक कि सीटी-गाइडेड बायोप्सी और रेडियल ईबीयूएस को भी इस मामले में अनुपयुक्त माना गया क्योंकि फेफड़े का अधिकांश हिस्सा लगभग मृत था, जिसकी वजह से ट्यूमर ग्रस्त भाग को अलग करना मुश्किल था। 

इन चुनौतियों को देखते हुए, डॉ राहुल शर्मा, एडिशनल डारयेक्टर, पल्मोनोलॉजी के नेतृत्व में फोर्टिस नोएडा की पल्मोनोलॉजी टीम ने सीबीसीटी-गाइडेड क्रायो-लंग बायोप्सी का विकल्प चुना जो कि अत्याधुनिक, मिनीमली इन्वेसिव तकनीक है और इसमें बेहतर प्रिसीजन के लिए रियल-टाइम 3डी इमेजिंग, एन्हान्सड स्कोप नेवीगेशन, और ऑग्मेंटेड फ्लोरोस्कोपी का मेल है। इस एप्रोच के साथ टीम ने मरीज के फेफड़े के जीवित हिस्से से सुरक्षित तरीके से टिश्यू सैंपल को निकाला और इस प्रक्रिया में मृत भाग से दूरी बनाकर रखी गई। 

बायोप्सी में नॉन-स्मॉल सैल कार्सिनोमा की पुष्टि हुई – यह एक प्रकार का लंग कैंसर है और अतिरिक्त लिंफ नोडा सैंपलिंग से कैंसर के प्रसार के शुरुआती स्तर का पता चला। इस सटीक डायग्नॉसिस और स्टेजिंग से डॉक्टरों को बिना किसी देरी के तत्काल सही उपचार शुरू करने में मदद मिली।

इस मामले में, डॉ राहुल शर्मा, एडिशनल डारयेक्टर, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस नोएडा ने कहा, “इस मामले ने साबित कर दिखाया है कि किस प्रकार एडवांस टेक्नोलॉजी और क्लीनिकल विशेषज्ञता के मेल से जटिल से जटिल मामलों का समाधान तलाशा जा सकता है। इस सीबीसीटी गाइडेड क्रायो-लंग बायोप्सी ने हमें स्पष्ट डायग्नॉसिस और कैंसर की सही पहचान करने में मदद की, ताकि मरीज सही समय पर सही उपचार ले सके।”
 
मोहित सिंह, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस नोएडा ने कहा, “फोर्टिस नोएडा में, हम अपने मरीजों तक एडवांस मेडिकल इनोवेशंस के लाभ पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। सीबीसीटी-गाइडेड क्रायो-लंग बायप्सी के सफल प्रयोग ने भी वर्ल्ड-क्लास टेक्नोलॉजी, प्रिसीजन-ड्रिवन केयर और बेहतर क्लीनिकल परिणामों को सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता दोहरायी है।”

यह उपलब्धि अत्याधुनिक डायग्नॉस्टिक टेक्नोलॉजी को अपनाने के मामले में फोर्टिस नोएडा की अग्रणी स्थिति को दर्शाती है। सीबीसीटी-गाइडेड क्रायो-लंग बायप्सी फिलहाल दुनियाभर के कुछ गिने-चुने स्पेश्यलाइज़्ड सेंटर्स में ही उपलब्ध है, और यहां इसका सफल प्रयोग उत्तर भारत में लंग कैंसर केयर की दिशा में बढ़ाए गए महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है।