अडानी के बुरे वक्त में श्रीलंका साबित हुआ सोना

अडानी के बुरे वक्त में श्रीलंका साबित हुआ सोना

हरेश उपाध्याय की रिपोर्ट

नयी दिल्ली: आज अडानी के बुरे वक्त में श्रीलंका सोना साबित हुआ।ज्ञातव्य हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में चल रही भारी गिरावट के बीच श्रीलंका ने अडानी समूह को बड़ी राहत दी है। हमारे सूत्रों के अनुसार श्रीलंका ने अडानी ग्रीन एनर्जी की 44 करोड़ 20 लाख डॉलर के दो पवन ऊर्जा परियोजना को मंजूरी दे दी है।डिफॉल्ट हो चुके श्रीलंका का कहना है कि अडानी समूह की इस परियोजना से देश में दो हजार नौकरियां सृजित होंगी और दो साल में लगभग 350 मेगावाट बिजली पैदा होगी।श्रीलंका के बोर्ड आफ इनवेस्टमेंट ने कहा कि भारतीय कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को श्रीलंका के मन्नार व पूनरीन क्षेत्रों में दो पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है।इस परियोजना से क्षेत्र में दो हजार नई नौकरियों का सृजन होगा और दो सालों में लगभग 350 मेगावाट बिजली पैदा होगी।अडानी समूह की कंपनियां श्रीलंका में एक अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रही हैं।राजधानी कोलंबो में अडानी ग्रुप पहले से ही 70 करोड़ डॉलर का एक रणनीतिक बंदरगाह टर्मिनल बना रहा है।पिछले साल नवंबर में इसके वेस्ट कंटेनर टर्मिनल पर काम शुरू हो चुका है। श्रीलंका के निवेश प्रोत्साहन राज्य मंत्री दिलम अमुनुगामा ने गुरुवार को कहा कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट का उन कंपनियों पर असर नहीं पड़ेगा,जो उनके देश में निवेश कर रही हैं और जहां तक ​​हमारी सरकार और हमारे मंत्रालय का संबंध है,हम निवेश के लिए उत्सुक हैं।इसलिए हमने इस परियोजना को मंजूरी दी।इस परियोजना को मंजूरी देने से पहले, श्रीलंका की बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने अडानी समूह के अधिकारियों से एक प्रगति समीक्षा बैठक भी की थी।यद्यपि पिछले साल, अडानी समूह की परियोजनाओं ने श्रीलंका में विवाद खड़ा कर दिया था। सरकार के आलोचकों का कहना था कि अडानी समूह की परियोजनाओं को मंजूरी देने में पारदर्शिता नहीं रखी गई है और एक अनुचित प्रक्रिया के तहत इसे मंजूरी दी गई।