फोर्टिस नोएडा में 49 वर्षीय मरीज के गर्भाशय से 2.2 किलोग्राम वज़न और तरबूज के आकार का ट्यूमर रोबोट-सर्जरी से सफलतापूर्वक निकाला गया

फोर्टिस नोएडा में 49 वर्षीय मरीज के गर्भाशय से 2.2 किलोग्राम वज़न और तरबूज के आकार का ट्यूमर रोबोट-सर्जरी से सफलतापूर्वक निकाला गया

नोएडा: फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा के डॉक्टरों ने 49-वर्षीय मरीज के गर्भाशय से 2.2 किलोग्राम वज़न और तरबूज के आकार का ट्यूमर रोबोट-सर्जरी से निकालने में सफलता प्राप्त की है। डॉ अंजना सिंह, डायरेक्टर एवं एचओडी, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी करीब 3 घंटे चली। मरीज को सर्जरी के दो दिन बाद स्थिर हालत में अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। 

फोर्टिस नोएडा में भर्ती होने पर मरीज ने पिछले दो वर्षों से मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द, अनियमित और भारी रक्तस्राव की शिकायत की। अल्ट्रासाउंड जांच से उनके गर्भाशय में 17-18 से.मी. आकार के फाइब्रॉयड (ट्यूमर) और साथ ही, 7-8 से.मी. आकार के अन्य फाइब्रॉयड्स का पता चला। इस प्रकार के फाइब्रॉयड्स आमतौर पर अत्यधिक इस्ट्रोजन उत्पन्न होने की वजह से बनते हैं, जो कि फाइब्रॉयड टिश्यू की ग्रोथ का कारण बनता है। ट्यूमर इतने बड़े आकार का था कि इसने पूरे एब्डॉमेन को घेर रखा था, और इस वजह से सर्जरी करना काफी मुश्किल था। इसके अलावा, मरीज की पहले दो बार सी-सेक्शन सर्जरी भी हो चुकी थी, और उनके पुराने घाव वर्टिकल थे। ऐसे में, सर्जरी करने पर शरीर के भीतर महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण था कि रोबोट की मदद से सर्जरी करने का फैसला किया गया ताकि उनकी आंतरिक संरचनाओं की सही ढंग से पहचान की जा सके और आंतिरक अंगों को अनायास कोई नुकसान नहीं पहुंचे। 

इस मामले की जानकारी देते हुए,  डॉ अंजना सिंह, डायरेक्टर एवं एचओडी, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने कहा, “मरीज इलाज के लिए अलीगढ़ से अस्पताल में आयी थीं, उन्हें इससे पहले कई गाइनीकोलॉजिस्ट्स ने पारंपरिक तरीके से ओपन सर्जरी करवाने की सलाह दी थी, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थीं। तब वह इलाज के लिए फोर्टिस नोएडा आयीं। इस मामले में, उनके गर्भाशय में ट्यूमर का आकार बढ़कर तरबूज जैसा हो चुका था। हमने सर्जरी के दौरान काफी सावधानी बरती ताकि उनके महत्वपूर्ण अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, और रोबोट की मदद से सर्जरी का फैसला किया गया ताकि सटीकतापूर्वक पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सके। इस सर्जरी में काफी कम ब्लीडिंग हुई जिसके चलते मरीज को खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इस पूरी सर्जरी का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू था भारी ट्यूमर को निकालना और इसके लिए रोबोटिक आर्म तथा कैमरे की मदद से पेट में 8 मिमी साइज़ के चीरे लगाए गए थे।

हमने मरीज के पेट में एक बैग में इस ट्यूमर को तोड़ा और इसके बाद बहुत मामूली आकार का चीरा लगाकर फायब्रॉयड के छोटे टुकड़ों को हटाया था। अगर यह सर्जरी समय पर न की जाती तो ये छोटे फ्रायब्रॉयड भी बढ़ चुके होते और आसपास के अंगों जैसे बड़ी आंत और मूत्राशय पर दबाव बढ़ाते जिसके वजह से आंतों में अवरोध पैदा हो सकता था और पेशाब भी रुक जाता। मासिक धर्म के दौरान दर्द और ब्लीडिंग भी बढ़ जाती और इस बात की आशंका भी थी कि अधिक रक्तस्राव की वजह से मरीज के शरीर में खून की कमी हो जाती। ऐसे मामले काफी दुर्लभ होते हैं, अभी तक 2.2 किलोग्राम वज़न के ट्यूमर केवल 10-20% मामलों में ही पाए गए हैं और ऐसे 1% मामलों में, बड़े आकार का फायब्रॉयड बढ़कर मैलिग्नेंट भी हो सकता है।”

मोहित सिंह, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा, “टयूमर के साइज़ और वज़न के मद्देनज़र, यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था, साथ ही, मरीज़ की इससे पहले दो सी-सेक्शन सर्जरी भी हो चुकी थीं। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा सही मूल्यांकन के चलते मरीज की सर्जरी सफल रही और सर्जरी के एक सप्ताह बाद ही वह अपने दैनिक रूटीन में लौट सकीं। क्लीनिकल उत्कृष्टता और अपने वर्ग में सर्वेश्रष्ठ देखभाल वास्तव में, फोर्टिस हॉस्पीटल 

नोएडा की प्रमुख विशेषताएं हैं और हम अपने मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए लगातार सर्वोच्च स्तर की देखभाल उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास करते रहते हैं।”