12 ज्योतिर्लिंग और 4 धाम की महासंगम यात्रा की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब IMPC की प्रयागराज महाकुंभ से 8 राज्यो से होते हुए दिल्ली तक भगवा त्रिशूल यात्रा

सनातन धर्म के गौरव को पुनर्स्थापित करने की ऐतिहासिक पहल, भारत के 108 प्राचीन शिवालयों और विदेशों में 12 शिवालयों का पुनरुद्धार एवं प्रतिष्ठापन, देश और विदेश में स्थापित किये जायेंगे शिव शक्ति केंद्र
दिल्ली: सनातन संस्कृति के उत्थान और प्राचीन शिवालयों के पुनरुद्धार के संकल्प के साथ, अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एवं भगबा ऐप द्वारा;भगवा त्रिशूल यात्रा; का भव्य शुभारंभ होने जा रहा है। यह दिव्य यात्रा 1 मार्च 2025 को पवित्र नगरी प्रयागराज से प्रारंभ होकर 29 मार्च 2025 को दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम पहुंचेगी, जहाँ भव्य शोभायात्रा एवं महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस यात्रा का प्रमुख लक्ष्य 120 पवित्र त्रिशूलों को प्राचीन शिवालयों में प्रतिष्ठित कर सनातन धर्म की अखंडता को सुदृढ़ करना है।
महासंगम यात्रा की भव्य सफलता के बाद यह तीसरे चरण की नई शुरुआत है। IMPC के शिव शक्ति केंद्र परियोजना के तहत, भारत के 108 प्राचीन शिवालयों और विदेशों के 12 मंदिरों का पुनरुद्धार करने का संकल्प लिया गया है। इसी क्रम में महासंगम यात्रा का आयोजन किया गया था, जो दो प्रमुख चरणों में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। महासंगम यात्रा में 40 सनातन धर्म अनुयायियों ने 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धामों की यात्रा करते हुए 108 पवित्र त्रिशूलों को दिव्यता प्रदान की। यह यात्रा 12,000 किमी की दूरी तय कर 25 दिनों में पूर्ण हुई। यात्रा का शुभारंभ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री तरुण चुघ द्वारा हुआ था और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इसे अपना आशीर्वाद उज्जैन में दिया।
महासंगम पूजन 29 जनवरी मौनी अमावस्या से 28 फरवरी (महाशिवरात्रि के पावन पर्व के उपलक्ष्य में) तक, प्रयागराज संगम में 108 त्रिशूलों का भव्य महापूजन एवं अभिषेक किया गया, जिससे वे भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण हो सके।
सनातन धर्म के संरक्षण और प्राचीन मंदिरों को पुनर्स्थापित करने हेतु भगवा त्रिशूल यात्रा IMPC की तीसरे चरण की ऐतिहासिक पहल है। इस यात्रा के माध्यम से 120 पवित्र त्रिशूलों को विशेष रूप से चयनित शिवालयों में प्रतिष्ठित किया जाएगा। यात्रा के दौरान तीन विशाल 32 फीट ऊँचे ट्रकों में 120 त्रिशूलों को भव्य रूप से ले जाया जाएगा। यात्रा में 50-100 वाहनों का भव्य काफिला शामिल होगा। हजारों श्रद्धालु एवं संत महात्मा इस यात्रा में सम्मिलित होकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। यह दिव्य यात्रा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ से होकर गुजरेगी। इस यात्रा का समापन श्रावण शिवरात्रि (6 जुलाई 2025) को होगा, जब 120 पवित्र त्रिशूलों को प्राचीन शिवालयों में प्रतिष्ठित किया जाएगा। भारत के 108 प्रमुख शिवालयों में 108 त्रिशूल और विदेशों के 12 शिवालयों में 12 त्रिशूल प्रतिष्ठित किए जाएंगे।
इस दिव्य यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई धर्मगुरुओं और प्रमुख हस्तियों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। यह यात्रा सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं उत्थान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। IMPC इस पवित्र यात्रा हेतु आवश्यक प्रशासनिक एवं आधिकारिक स्वीकृतियाँ प्राप्त कर रहा है। इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बनने और सनातन धर्म के इस महायज्ञ में योगदान देने के लिए आप सभी श्रद्धालुओं, धर्मप्रेमियों, संत समाज एवं भक्तों से सहयोग एवं समर्थन की अपील की जाती है।
IMPC राष्ट्रीय महामंत्री एवं कार्यकारी अध्यक्ष का संदेश अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद IMPC के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश यादव ने कहा, "इस यात्रा के माध्यम से हम समाज को जागरूक करना चाहते हैं कि हमारी प्राचीन धरोहरों का संरक्षण आवश्यक है। इस ऐतिहासिक पहल से लाखों सनातन धर्म अनुयायियों को जोड़ने का संकल्प लिया गया है। हमें विश्वास है कि यह यात्रा सनातन संस्कृति की अखंडता को बनाए रखने में मील का पत्थर साबित होगी।
अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद IMPC के राष्ट्रीय महामंत्री दीप सिहाग सिसाए ने कहा, "भगवा त्रिशूल
यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म के गौरव और परंपराओं के पुनरुद्धार की
दिशा में एक महान प्रयास है। हमारा लक्ष्य प्राचीन शिवालयों को पुनर्जीवित कर उन्हें शिव शक्ति केंद्र के
रूप में विकसित करना है, जिससे सनातन संस्कृति को और अधिक मजबूती मिले।
सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का संकल्प
भगवा त्रिशूल यात्रा भारत की आध्यात्मिक धरोहर को आधुनिक तकनीक के माध्यम से पुनर्जीवित करने,
मंदिरों को डिजिटल युग से जोड़ने, स्वयंसेवकों को धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए संगठित करने और
श्रद्धालुओं के लिए एक सुगम एवं सुरक्षित धार्मिक अनुभव सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक
पहल है। यह यात्रा सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की शक्ति और व्यापकता को दर्शाने का एक
माध्यम बन रही है, जिससे भारत की आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक पहचान मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) के बारे में अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) भारत के मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों के पुनर्निर्माण एवं आधुनिकीकरण के लिए समर्पित एक संगठन है। इसका उद्देश्य प्राचीन मंदिरों को संरक्षित करना, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना, और मंदिरों को डिजिटल तकनीकों से जोड़ना है। IMPC युवाओं, धार्मिक संगठनों और सरकारों के सहयोग से मंदिरों के आधुनिकीकरण और सामाजिक समरसता की दिशा में कार्य कर रहा है।
IMPC का मिशन केवल धार्मिक स्थलों का संरक्षण ही नहीं, बल्कि उन्हें समृद्ध सांस्कृतिक केंद्रों में बदलना भी है, जो आध्यात्मिकता, सामाजिक उत्थान और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा दें। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप, IMPC मंदिरों में जल संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास को भी बढ़ावा दे रहा है।
महासंगम यात्रा में IMPC द्वारा किए जा रहे प्रमुख प्रयास –
- युवाओं को सनातन संस्कृति और मंदिर प्रबंधन से जोड़ना
- मंदिरों में डिजिटल बुकिंग और तकनीकी सुविधाओं को बढ़ावा देना
- मंदिरों के पुनर्निर्माण और स्वच्छता अभियानों को सक्रिय करना
- धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित कर मंदिर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना
यह यात्रा केवल धार्मिक स्थलों का भ्रमण नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति को आधुनिक युग के अनुरूप
ढालने का एक ऐतिहासिक प्रयास है। महासंगम यात्रा का हर पड़ाव भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः
स्थापित करने और मंदिरों को सशक्त धार्मिक केंद्रों में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।