ग्लोबल GCC समिट 2025 भारत के रणनीतिक इनोवेशन और क्षमता केंद्र के रूप में उभरते प्रभाव को प्रदर्शित करता है
इनोवेशन, AI और डिजिटल ट्रस्ट पर रणनीतिक केंद्रित दृष्टिकोण
GCC 2040 रोडमैप और GCC 4.0 के लिए टैलेंट का विकास, -उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति और 'इंडिया राइजिंग' पुस्तक का विमोचन
नई दिल्ली। इंडक्टस ग्रुप द्वारा आयोजित ग्लोबल GCC समिट 2025, द हयात रीजेंसी, नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें वैश्विक नेताओं का एक सशक्त संगम देखने को मिला। समिट का उद्देश्य भारत के R&D-आधारित इनोवेशन, रिसर्च और ग्लोबल कैपेबिलिटी हब के रूप में उभरते नेतृत्व को रेखांकित करना था। भारी संख्या में प्राप्त पंजीकरणों में से लगभग 250 प्रतिनिधियों—CEOs, CXOs, GCC प्रमुखों, तकनीकी व व्यावसायिक नेताओं, केंद्र व राज्य सरकारी अधिकारियों, IITs, IIMs तथा प्रमुख विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों, साथ ही वाणिज्य दूतावासों, दूतावासों और वैश्विक व्यापार निकायों—ने भाग लिया, जिससे यह अब तक के सबसे व्यापक GCC-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों में से एक बना। सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं में डॉ. किशोर जयरामन (UKIBC), प्रणव मिश्रा (AMCHAM), संदीप कुलकर्णी (Worley), मयंक शर्मा (Google, USA) और अंजनी लाडिया (ICAI – Luxembourg) शामिल थे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत को कॉस्ट-अर्बिट्रेज केंद्र से एक रणनीतिक वैश्विक इनोवेशन और R&D हब के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में संवाद को आगे बढ़ाना था। दिनभर विभिन्न पैनल चर्चाओं और मुख्य वक्तव्यों के माध्यम से नीति ढाँचे, गवर्नेंस, टैलेंट विकास, स्थिरता, तकनीकी अपनाव और सीमा-पार सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हुआ, जो भारत में GCCs के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
समिट की व्यापक चर्चाएँ कुछ प्रमुख विषयों पर केंद्रित थीं, जो भारत में GCCs की भावी दिशा तय करते हैं। विचार नेताओं ने GCC 2040 के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण पर चर्चा की, जिसमें भारत के लिए उपलब्ध विशाल अवसरों और वैश्विक नेतृत्व को सुदृढ़ करने की रणनीतिक राह की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। चर्चाओं का प्रमुख केंद्र डिजिटल ट्रस्ट और वैश्विक अनुपालन रहा, विशेष रूप से इस बात पर कि भारत के DPDP अधिनियम और उभरते साइबर सुरक्षा ढाँचों के अनुरूप GCCs सुरक्षित संचालन कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं। इसी के साथ टैलेंट आर्किटेक्चर फॉर GCC 4.0 पर भी विचार किया गया, जिसमें कौशल, पाठ्यक्रम और उद्योग-अकादमिक सहयोग मॉडल को पुनर्परिभाषित करने पर बल दिया गया। इन सत्रों में द इनोवेशन इम्परेटिव को भी रेखांकित किया गया, जिसमें यह बताया गया कि भारत के GCCs को वैश्विक R&D और AI-चालित परिवर्तन के केंद्र में कैसे स्थापित किया जा सकता है।
समिट के दौरान, इंडक्टस समूह भारत ने सिंगापुर स्थित एस्टेरिया विज़न्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और उसे औपचारिक रूप से क्रियान्वित भी किया। यह समझौता सिंगापुर उच्चायोग के प्रथम सचिव (आर्थिक), श्री विवेक रघुरमन की प्रतिष्ठित उपस्थिति में सम्पन्न हुआ—जो भारत और सिंगापुर के बीच मित्रता एवं सहयोग का प्रतीकात्मक संकेत भी था।
इंडक्टस ग्रुप के CEO एवं MD, आलोक कुमार ने कहा कि “ग्लोबल GCC समिट 2025 ने इस तथ्य को दृढ़ता से स्थापित किया है कि भारत केवल एक आउटसोर्सिंग गंतव्य नहीं रहा, बल्कि अब वह दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल R&D और इनोवेशन बनकर उभर रहा है। आँकड़े स्वयं सब कुछ कहते हैं: संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, GCCs वर्ष 2030 तक भारत के GDP में 3% का योगदान देने के लिए अग्रसर हैं। इसके अतिरिक्त, हमारे द्वारा किए गए उद्योग अनुमान यह दर्शाते हैं कि वर्ष 2040 तक यह क्षेत्र 450 अरब डॉलर के आर्थिक मूल्य तक पहुँच सकता है, जो GDP का 7.10% होगा। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि यह वृद्धि राष्ट्रीय रोजगार का एक शक्तिशाली इंजन बनेगी। वर्तमान में लगभग 20 लाख संसाधनों के आधार से यह क्षेत्र 2030 तक 35 लाख और 2040 तक 80 लाख संसाधनों को रोजगार देगा। यह केवल वृद्धि की कहानी नहीं है, बल्कि भारत की आर्थिक दिशा को बदलने वाला परिवर्तन है, जो GCCs को भारत के प्रौद्योगिकी महाशक्ति बनने की रीढ़ बनाता है। समिट की चर्चाओं ने इस दृष्टि को साकार करने की रणनीतिक नींव रखी है।”
समिट ने यह भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया कि उन्नत शोध, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और सतत विकास पर केंद्रित GCC इकोसिस्टम के माध्यम से वैश्विक व्यापार और प्रौद्योगिकी नवाचार की अगली लहर का नेतृत्व करने के लिए भारत की तैयारी को भी प्रदर्शित किया। प्रतिभागियों ने भारत की प्रतिभा क्षमता, अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने और दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए सहयोग को सुदृढ़ करने पर विचार साझा किए।
समिट की प्रमुख विशेषताओं में से एक था पुस्तक ‘India Rising – Rise & Future of Services Sector Led by GCCs in India (1985–2040)’ का औपचारिक लॉन्च एवं अनावरण। यह पुस्तक GCC इकोसिस्टम के विकास, उसके अनुमानित विस्तार, तथा उसकी रणनीतिक दिशा पर आधारित एक व्यापक विश्लेषण और गहन रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। साथ ही, यह भारत की वैश्विक व्यापार परिदृश्य में उभरती हुई रणनीतिक स्थिति को भी स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है।
इंडक्टस के CEO, आलोक कुमार के अनुसार, ग्लोबल GCC समिट 2025 ज्ञान-विनिमय, रणनीतिक सहयोग और नीति-आधारित संवाद का एक अत्यंत सशक्त मंच बनकर उभरा, जिसने GCCs के लिए भारत की भूमिका को एक प्राथमिक निवेश गंतव्य के रूप में और अधिक मजबूत किया।
कार्यक्रम ने मौजूदा GCCs की उपलब्धियों को उजागर किया, भविष्य की पहलों, साझेदारियों और इनोवेशन के लिए मार्ग प्रशस्त किया, तथा भारत के GCC परिदृश्य के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
समिट ने यह भी रेखांकित किया कि वैश्विक बड़ी एवं मध्यम श्रेणी की कंपनियों से निवेश आकर्षित करने के मामले में भारत की स्थिति अत्यंत सुदृढ़ है और वह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में एक विश्वसनीय तथा उच्च-मूल्य क्षमता केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है।


