नॉएडा - शहर के समाजसेवी एवं पर्यावरणविद रंजन तोमर ने आरटीआई के माध्यम से कुछ चौंकाने वाले खुलासे किये हैं , हाथियों के शिकार के एक प्रमुख कारण उनका हाथी दांत अर्थात आइवरी है , जिसके दस साल का ब्यौरा श्री तोमर को वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा दिया गया है , कितने शिकारियों को गिरफ्तार किया गया इसकी जानकारी भी ब्यूरो द्वारा साझा की गई है।
यह है 2014 से 2024 तक का ब्यौरा
2014 में देश भर में कुल मिलाकर 50 हाथीदांत जब्त हुए और 52 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया , ,2015 में 42 आइवरी जब्त हुई और 37 गिरफ्तारियां हुई , 2016 में क्रमशः 26 और 47 रहा , 2017 में 39 हाथीदांत जब्त हुए और 40 शिकारी गिरफ्तार हुए , 2018 में क्रमशः 44 और 46 का आंकड़ा रहा , 2019 में हाथीदांत का आंकड़ा 68 हो गया और 41 शिकारी गिरफ्तार हुए , 2020 में 39 हाथीदांत जब्त हुए और 47 गिरफ़्तारी हुई , जबकि 2021 में भी 73 तक हाथीदाँतों का आंकड़ा पहुँच गया , इस वर्ष 64 गिरफ्तार हुए , 2022 में यह आंकड़ा क्रमशः 60 और 65 का रहा , जबकि 2023 में 43 हाथीदांत पकडे गए और 48 शिकारी गिरफ्तार हुए , 2024 में यह आंकड़ा घटकर हाथीदांत का 16 और गिरफ्तारियों का 19 पर आगया।
पश्चिम बंगाल एवं असम में सबसे ज़्यादा शिकार
2014 में सबसे ज़्यादा आइवरी नागालैंड में बरामद हुई जहाँ 14 और दूसरे पर तमिल नाडु जहाँ 10 बरामदगी हुई , 2015 में पश्चिम बंगाल में रिकॉर्ड 21 आइवरी बरामद हुई , 2016 में कर्नाटक में 7 आइवरी बरामदगी हुई , 2017 में कर्णाटक में 13 जब्ती हुई , 2018 में पश्चिम बंगाल में फिरसे 22 हाथीदांत पकडे गए , 2019 में तमिल नाडु में 16 और पश्चिम बंगाल और मेघालय में 13 -13 हाथीदांत बदामद हुए , 2020 में असम में 11 और उत्तराखंड में 9 हाथीदांत पकडे गए , 2021 में असम में 13 और बिहार में 11 हाथीदांत बरामद हुए , 2022 में यह आकंड़ा सबसे ज़्यादा मेघालय और झारखण्ड रहा जहाँ 10 -10 हाथीदांत बरामद हुए , 2023 में फिर असम हाथीदांत देश भर में सबसे ज़्यादा बरामद हुए। 2024 में पश्चिम बंगाल में 6 हाथीदांत बरामद हुए।
डॉक्टर रंजन तोमर ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा की यह बेहद दुखद है की आज के परिवेश में भी हाथियों का शिकार जारी है और हाथीदांत की बरामदगी लगातार हो रही है , वह इस विषय में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय एवं राज्यों को भी लिखेंगे ताकि आवश्यक कार्यवाही की जा सके और हाथियों के बचाव हेतु कड़े कानून बन सकें।