किसानों के लाभ हेतु एमिटी के वैज्ञानिक डा अमित खरकवाल द्वारा विकसित तकनीक का हुआ उद्योग को हंस्तातरण

किसानों के लाभ हेतु एमिटी के वैज्ञानिक डा अमित खरकवाल द्वारा विकसित तकनीक का हुआ उद्योग को हंस्तातरण

एमिटी विश्वविद्यालय के डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ने एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के उप निदेशक डॉ. अमित खरकवाल और उनकी टीम द्वारा विकसित “त्रिपक्षीय कंसोर्टियम ऑफ एचएनबी9” नामक तकनीक का उद्योग भागीदार “मायोडेल्फिया बायो-टेक रिसर्च कंपनी” को हस्तांतरण किया। विदित हो कि त्रिपक्षीय कंसोर्टियम ऑफ एचएनबी9 एक जैव उर्वरक और जैवकीटनाशक है जिसका उपयोग पौधों में वृद्धि को बढ़ावा देने और फसल की उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस तकनीकी हस्तंातरण समारोह में एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती की उपस्थिती में एमिटी विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव डा आर के कपूर और मायोडेल्फिया बायोटेक रिसर्च के सीईओ डा संजीव शर्मा ने हस्ताक्षर किये।

मायोडेल्फिया बायोटेक रिसर्च कंपनी के सीईओ डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि मायोडेल्फिया बायो-टेक रिसर्च कंपनी 2002 में स्थापित एक एकल स्वामित्व वाली फर्म है। ग्रेटर नोएडा में स्थित यह कंपनी जैव उर्वरकों, कृषि कवकनाशी आदि की एक विस्तृत श्रृंखला बनाती है। हमने एक विस्तृत और अच्छी तरह से कार्यात्मक अवसंरचना इकाई का निर्माण किया है जो इस कंपनी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हम अपने उत्पादों को दुनिया के 15 विभिन्न देशों में निर्यात करते हैं। कृषि हमारे देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है और आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान ने कृषि में कई समस्याओं का समाधान प्रदान किया है, जिसमें “भस्म” का उपयोग भी शामिल है, जो कई पौधों की बीमारियों को रोकने में मददगार रहा है। हम एमिटी से तकनीक को स्वीकार करके बेहद खुश हैं और साथ मिलकर हमारा लक्ष्य किसानों को लाभान्वित करना है।

समारोह को संबोधित करते हुए, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश कीे वाइस चांसलर प्रो. बलविंदर शुक्ला ने कहा कि परिणाम के बिना अनुसंधान का कोई मतलब नहीं है और किसी भी क्षेत्र में अनुसंधान से समाज को लाभ होना चाहिए। आज का दिन एक यादगार दिन है जब डॉ. अमित खरकवाल द्वारा विकसित तकनीक को मायोडेल्फिया बायो-टेक रिसर्च कंपनी को हस्तांतरित किया जा रहा है, जो कृषि में मौजूदा समस्याओं के लिए सार्थक समाधान प्रदान करने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है, विशेष रूप से फसल की पैदावार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना। हम भविष्य में उनके साथ कई और अधिक उपयोगी सहयोग की आशा करते हैं।

एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. डब्ल्यू. सेल्वामूर्ति ने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक को उद्योग कोें स्थानांतरित किया जा रहा है, जो किसानों और टिकाऊ कृषि के लिए बेहद फायदेमंद होगा क्योंकि यह उत्पाद मिट्टी और फसल की उपज की गुणवत्ता को खराब किए बिना पौधों को लाभ पहुंचाता है। हम डॉ. संजीव शर्मा के भी आभारी हैं कि उन्होंने एमिटी को चुना और इस तकनीक को सहर्ष स्वीकार करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों पर भरोसा जताया।

एचएनबी9 के त्रिपक्षीय संघ तकनीक के संर्दभ में जानकारी देते हुए एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के उप निदेशक, प्रोफेसर अमित खरकवाल, ने कहा, कि यह जैविक उर्वरक और जैवकीटनाशक, व्हाइटग्रब और नेमोटोड्स को नियंत्रित करने में बेहद मददगार है, जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं और उनकी उपज को प्रभावित करते हैं। उत्पाद का परीक्षण गन्ने पर किया गया, और इसने 15% उपज वृद्धि दिखाई है।

इस अवसर पर एमिटी फाउंडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन अलायंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ए. के. सिंह, एमिटी विश्वविद्यालय के डीन (ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट) डॉ. बी. के. मूर्ति, एडिशनल प्रो.वीसी प्रो. चंद्रदीप टंडन, एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फाउंडेशन की महानिदेशक डॉ. नूतन कौशिक और वरिष्ठ संकाय सदस्य उपस्थित थे।