बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि: नाबालिगों के साथ यौन संबंध और सहमति आयु

बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि: नाबालिगों के साथ यौन संबंध और सहमति आयु

भारत में बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। ‘बाल यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम’ (POCSO Act, 2012) 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण और किसी भी प्रकार के यौन संबंध से बचाने के लिए बनाया गया है। किशोर शारीरिक रूप से भले ही यौन परिपक्वता दिखाएँ, लेकिन मानसिक और भावनात्मक रूप से 16–18 वर्ष के बीच पूरी तरह तैयार नहीं होते।

सहमति की आयु घटाने का मतलब है कि किशोर या किशोरी अब यौन संबंध बनाने में “सक्षम” माने जाएँ। यह कदम उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और मानसिक विकास पर गंभीर जोखिम बढ़ाता है। किशोरावस्था में गर्भधारण, यौन संचरित रोग और भावनात्मक शोषण जैसी जटिलताएं अधिक होती हैं। NCRB 2022 के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश बाल यौन अपराध परिचित या परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाते हैं।

सहमति की आयु घटाने और किशोरों को यौन संबंध बनाने की अनुमति देने से न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रभावित होती है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है। आतंकवादी और उग्रवादी संगठन किशोरों को “प्यार-जाल” या ऑनलाइन रोमांटिक संपर्क के बहाने आकर्षित कर, उन्हें कट्टर विचारधाराओं की ओर खींच सकते हैं। किशोर मस्तिष्क का विकास अधूरा होने के कारण वे यौन संबंधों और भावनात्मक शोषण दोनों के जोखिम का सही मूल्यांकन नहीं कर पाते।

इसलिए सहमति आयु घटाना और किशोरों के यौन संबंधों को कानूनी रूप देना बच्चों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

कानून को संवेदनशील और विवेकपूर्ण ढंग से लागू करें। 16–18 वर्ष के किशोरों पर आरोप का प्रारंभिक मूल्यांकन मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विशेषज्ञों से कराएं। पुलिस, न्यायाधीश और स्कूल काउंसलर को किशोर विकास, यौन स्वास्थ्य और डिजिटल सुरक्षा पर विशेष प्रशिक्षण दें। किशोर स्वास्थ्य, यौन शिक्षा, डिजिटल सुरक्षा और परामर्श सेवाओं में निवेश बढ़ाएं।

समाज में जागरूकता अभियान चलाकर बच्चों और अभिभावकों को सुरक्षित यौन व्यवहार और जोखिम प्रबंधन की शिक्षा दें। सहमति की आयु घटाना और नाबालिगों को यौन संबंधों के लिए सक्षम मानना समाधान नहीं है। बच्चों की सुरक्षा और मानसिक परिपक्वता को प्राथमिकता देना हमारी संवैधानिक, नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।

लेखिका: गुंजन नन्दा, काशी