आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है - प्रवीण कुमार
15 अगस्त पर विशेष...
आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है आज के दिन ही हमने एक हिस्सा खोया है।
चिता पर शहीदों की लगना था मेला सियासत ने पर खेल उल्टा ही खेला ।मंदिर और मस्जिद पे होते हैं दंगे
शहीदों ने क्या इसलिये ज़ुलम झेला ॥
ये नफरतों का बीज किसने यहाँ बोया
है ।
आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है आज के दिन ही हमने एक हिस्सा खोया है।
समाधि शहीदों की भारत से बोली
इसी दिन की खातिर क्या खायी थी गोली।
बाँटा वतन और भाइयों को बाँटा
और फिर लहु से भी खेली थी होली॥
भगत, आज़ाद का भी बलिदान रोया है।
आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है आज के दिन ही हमने एक हिस्सा खोया है।
महगाँ है सब कुछ, यहाँ जान सस्ती
संस्कार खोयें खोई देश भक्ति।
फ़्री के भ्रम में बिकते हैं वोट
कहाँ आ गये हम ये कैसी है बस्ती॥
मैं क्या करूँ कि न्यायतंत्र मेरा सोया है।
आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है आज के दिन ही हमने एक हिस्सा खोया है।
विश्व गुरू हम हैं सबने ये माना
खोया जो हिस्सा वो वापिस है पाना।
सबका विकास, ले सबको साथ
हिंदुस्तान में अब रामराज है लाना॥
फिर ऐक सपना इन आँखो में ये संजोया है।
आज हिंदुस्तान के लिये दिल रोया है
आज के दिन ही हमने एक हिस्सा खोया है।
- प्रवीण कुमार प्रवीण


