डॉ महेश के समर्थन में बैठ सकते हैं सपा प्रत्याशी

नोएडा। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर महेंद्र नागर अपनी हार को लेकर बेहद परेशान है। वहीं उन्हें अपनी पार्टी के कार्यकर्ता और कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों का भी सहयोग नहीं मिल पा रहा है। पूरे चुनाव में वह कार्यकर्ताओं की एकजुट करने में ही जुटे रहे और प्रचार नहीं हो सका है। शहर में तेजी से चर्चा फैल रही है कि भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा के समर्थन में सपा प्रत्याशी बैठ सकते हैं। चर्चाओं में यह भी बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर मोटी डील हो रही है। इस पूरे मामले की सच्चाई तो प्रत्याशी से बात होने के बाद ही सामने आएगी। समाचार लिखे जाने तक प्रत्याशी से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है किंतु अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है।
मीडिया प्रबंधन देख रहे गौरव यादव इस तरह की खबरों का खंडन कर महज अफवाह बता रहे हैं।
नोएडा शहर में आज शाम से चुनाव प्रचार बंद होने के बाद डॉक्टर महेंद्र नगर के भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में बैठने की चर्चा तेजी से शहर में फैल रही है। तर्क देते हुए लोग कहते हैं की दोनों लोगों के बीच बड़ी डील का सिलसिला जारी है। पेशे से दोनों चिकित्सक हैं जिसके कारण दोनों के निजी संबंध भी अच्छे बताये जा रहे हैं। जब इस तरह की चर्चाओं के विषय में सपा का मीडिया प्रबंधन देख रहे गौरव यादव से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले तो फोन ही नहीं उठाया बाद में बात होने पर पता चला कि इस तरह की चर्चाए बेबुनियाद व निराधार है, वह भी इसकी पुष्टि उनसे पूछने के बाद कर पाएंगे।
जानकार लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर दोनों चिकित्सकों के बीच बड़ी डील हो रही है लेकिन इस खबर की अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।
क्या प्रोफेसर राम गोपाल ने निभाई दोस्ती ?
राजनीति विश्लेषक ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सपा ने कमजोर प्रत्याशी देकर यह सीट भाजपा को गिफ्ट करने का प्रयास किया है। दूसरे शब्दों में, प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने डॉ. महेश शर्मा से अपनी मित्रता को निभाते हुए यहां ऐसे कमजोर प्रत्याशी को उतारा है जिससे सपा कहीं भी भाजपा को नुकसान पहुंचाती नहीं दिख रही है। जातीय समीकरण को देखें तो गौतमबुद्ध नगर लोकसभा में दलित, ब्राह्मण, मुस्लिम समीकरण निर्णायक होता है। मुस्लिम, गुर्जर और यादव समाज का वोट सपा को जाता है। लेकिन सपा के इस टिकट के घोषित होने के बाद से मुस्लिम समाज सहित यादव समाज भी हतप्रभ है कि इतने कमजोर प्रत्याशी से कैसे सपा का बेड़ा पार होगा।