धर्मागतपुर भूसे में मिली लाश फिर चर्चा मे, मृतक घर वापस आया

दुल्लहपुर (गाजीपुर) : धर्मागतपुर स्थित श्मशान घाट के पास बीते 25 जून को भूसे के कमरे में मिले जिस शव को वासुदेव राजभर ने अपना बेटा नंदकिशोर राजभर का समझकर दाह संस्कार किया था, वह 22 दिन बाद रविवार को अपने घर लौट आया। वासुदेव ने उसका तेरही संस्कार भी किया था।

वासुदेव का पुत्र नंदिकिशोर कई दिन से लापता था। इस दौरान बीते 25 जून को धर्मागतपुर स्थित नहर के किनारे श्मशान घाट के पास एक भूसे के कमरे में शव मिला था। दुल्लहपुर के साथ ही बिरनो थाने की पुलिस भी पहुंची थी। मामला दुल्लहपुर थाने का होने के कारण पुलिस शव लेकर थाने पहुंची तब तक धर्मागतपुर राजभर बस्ती के वासुदेव राजभर पहुंच गए थे और शव को अपने पुत्र नंदकशोर का बताने लगे। जबकि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संजय राजभर ने पंचनामा पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि यह शव नंदकिशोर का नहीं है। इसका विरोध उस समय कई अन्य ग्रामीण भी किए थे। अब 22 दिन बाद नंद किशोर के जीवित घर लौटने से मामला पेचीदा हो गया कि आखिर पहले वाला शव किसका था। इधर नंदकिशोर के पिता वासुदेव राजभर ने बताया कि शव के चेहरे का हिस्सा गल जाने के चलते उसकी पहचान करने में भूल हो गई। एसओ शैलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कोई स्पष्ट कारण नहीं पता चल पाया था। विसरा रिपोर्ट भी आ गई है उसमें भी कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल पाया। शव का चेहरा गल गया था। वासुदेव ने शव की पहचान अपने बेटे के रूप में किया तभी उसे सौंपा गया था। अब शव को लावारिस ही समझा जाएगा। ग्रामीणों में चर्चा है कि आखिर वह शव किसका था। अब तो यह स्पष्ट हो गया है कि किसी की हत्या कर शव को वहां छिपा दिया गया था।