भारत के 17 बौद्ध संगठनों की ऐतिहासिक एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चेंटिंग समारोह दिसंबर में

भारत के 17 बौद्ध संगठनों की ऐतिहासिक एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चेंटिंग समारोह दिसंबर में

नई दिल्ली/बोधगया — आगामी 20वें वार्षिक अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चेंटिंग समारोह (2–13 दिसंबर 2025) के संबंध में आज नई दिल्ली में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें भारत के शीर्ष बौद्ध संगठनों, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) और मीडिया प्रतिनिधियों को संबोधित किया गया।

इस प्रेस सभा का उद्देश्य दिसंबर में बोधगया में होने वाले वैश्विक बौद्ध कार्यक्रम की तैयारियों, सहयोग, अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और सांस्कृतिक महत्व को व्यापक रूप से साझा करना था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया गया कि इस वर्ष भारत के 17 प्रमुख बौद्ध संगठनों ने पहली बार एकजुट होकर महाबोधि मंदिर परिसर, बोधगया में होने वाले इस प्रतिष्ठित आयोजन को सामूहिक रूप से आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह अपने आप में ऐतिहासिक कदम है।

LBDFI–USA की संस्थापक वांगमो डिक्से का संबोधन

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुश्री वांगमो डिक्से, संस्थापक एवं कार्यकारी निदेशक, लाइट ऑफ बुद्धा धर्मा फाउंडेशन इंटरनेशनल (LBDFI–USA) ने कहा:

“हम पाली परंपरा का सम्मान करते हुए बुद्ध के उपदेशों का स्मरण और चिंतन करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाली भाषा को शास्त्रीय दर्जा मिलना बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। हमें आशा है कि इस वर्ष अधिक भारतीय इस पवित्र चेंटिंग में भाग लेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत की पवित्र भूमि पर धर्म की ध्वनि को पुनः स्थापित करना उनके जीवन का बड़ा सम्मान है।

अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चेंटिंग समारोह: वैश्विक आध्यात्मिक संगम

थेरवाद बौद्ध परंपरा का यह सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है, जिसमें—
 • 15,000 से अधिक भारतीय भिक्षु एवं अनुयायी
 • दक्षिण–पूर्व एशिया, अमेरिका और अन्य देशों के हजारों अंतरराष्ट्रीय भक्त
भाग लेंगे।
साथ ही 1000 स्वयंसेवक व्यवस्था में सहयोग करेंगे।

विशिष्ट अतिथियों की घोषणाएँ

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि उद्घाटन दिवस (2 दिसंबर) के मुख्य अतिथि होंगे: पेमा खांडु मुख्यमंत्री अरुणाचल प्रदेश, अतिथि–सम्मानित चावना मेन, 6 दिसंबर: किरेन रिजिजू , 12 दिसंबर (समापन दिवस): नितिन गडकरी 

आयोजन समिति की भूमिका

भारत अध्याय की आयोजन समिति (ITCC) के अध्यक्ष वंदनीय संघसेन महाथेरो ने बताया कि इस वर्ष भारत के कई महत्वपूर्ण बौद्ध संगठनों—विशेषकर महाबोधि सोसायटी, बैंगलोर—का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। IBC उद्घाटन दिवस के सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी प्रायोजित करेगा।

संघसेन महाथेरो का संदेश

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा: “भारत पहले से ही विश्वगुरु रहा है क्योंकि यहां भगवान बुद्ध हुए। आज हम बुद्ध के शांति–संदेश को विश्वभर तक पहुंचाकर उस महान परंपरा को पुनर्जीवित कर रहे हैं।”

चेंटिंग के आध्यात्मिक लाभ पर IBC का वक्तव्य

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने कहा कि सामूहिक चेंटिंग “मन को पवित्र करती है, वातावरण को शुद्ध करती है, और साधक को एक उच्च आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।”

कार्यक्रम की रूपरेखा (Delhi Press Briefing में साझा)
 • 2 दिसंबर, सुबह 8 बजे: विशाल बौद्ध शोभायात्रा, प्रतिदिन:
 • बोधिवृक्ष के नीचे पाली त्रिपिटक का पारायण
 • हिंदी व अंग्रेजी में धर्म–उपदेश
 • कला दीर्घा
 • अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
 • 30,000 वर्ग फुट का भोजन केंद्र (कलचक्र मैदान) — सभी भक्तों के लिए निःशुल्क भोजन
 • 13 दिसंबर: जठियन घाटी से वेणुवन, राजगीर तक ऐतिहासिक पदयात्रा
 • 1000 अनुयायियों के शामिल होने की संभावना

स्वर्ण बुद्ध प्रतिमाओं का समर्पण (Delhi Press Briefing का विशेष बिंदु)

इस वर्ष ओडिशा में निर्मित 220 स्वर्ण बुद्ध प्रतिमाएँ देशभर के समुदायों को समर्पित की जाएँगी, ताकि नए मंदिरों, ध्यान केंद्रों और सामुदायिक स्थलों में बुद्ध–धम्म का प्रकाश पुनः स्थापित हो।

त्रिपिटक की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता

त्रिपिटक बुद्ध के उपदेशों का मूल स्रोत है—
एक ऐसा ग्रंथ जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन के साथ-साथ प्राचीन भारत की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि का भी जीवंत प्रतीक है।