भारत उत्कर्ष महायज्ञ में देशभर की झांकियों व लोकनृत्यों की धूम

भारत उत्कर्ष महायज्ञ में देशभर की झांकियों व लोकनृत्यों की धूम

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से गूँजा रामलीला मैदान, दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

नोएडा: सेक्टर–110 स्थित महर्षि महेश योगी संस्थान द्वारा आयोजित 108 कुण्डीय भारत उत्कर्ष महायज्ञ में मंगलवार का दिन हवन यज्ञ के साथ विविध संस्कृतियों, रंगों और लोकतालों से सराबोर रहा। दिल्ली-एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों से आए हजारों लोगों ने भारतीय संस्कृति की जीवंत झलक का आनंद लिया।

मंच पर देश के अलग-अलग प्रदेशों के कलाकारों ने अपनी पारंपरिक लोककलाओं को जिस शालीनता और ऊर्जा के साथ प्रस्तुत किया, उसने पंडाल में मौजूद दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। राजस्थान के घूमर नृत्य की सरल घूमती लय, पंजाब के भंगड़ा की जोश भरी ताल, असम के बिहू की मधुर लय और महाराष्ट्र की लावणी की पारंपरिक छटा ने सांस्कृतिक संध्या को विशेष बना दिया।

उत्तर प्रदेश की अवधी लोक-प्रस्तुति और दक्षिण भारत के भरतनाट्यम ने भी दर्शकों से खूब तालियाँ बटोरीं। कलाकारों की पारंपरिक पोशाकें, वाद्ययंत्रों की स्वरलहरियाँ और प्रस्तुति के दौरान दिखी “विविधता में एकता” की छवि ने इसे महायज्ञ का विशेष आकर्षण बना दिया।
वहीं शाम को राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से रामकथा सुनने आए श्रद्धालुओं में अलग ही भक्ति भाव देखने को मिला ।

आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि भारत उत्कर्ष महायज्ञ केवल आध्यात्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार का भी एक अनूठा मंच बन चुका है। 25 नवंबर तक प्रतिदिन विभिन्न राज्यों के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के गौरव को प्रदर्शित करेंगे।

"हमारा उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शांति का संदेश देना ही नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाना भी है। हम सभी नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे इस अनोखे सांस्कृतिक–आध्यात्मिक उत्सव में अवश्य शामिल हों और राष्ट्रहित के इस महायज्ञ का हिस्सा बनें।”।