खेलेगा फर्रुखाबाद, बदलेगा फर्रुखाबाद: अमन सक्सेना की प्रेरक कहानी
फर्रुखाबाद से रूस तक – अमन सक्सेना ने लिखा संघर्ष और सफलता का इतिहास
संभव जैन के शिष्य अमन सक्सेना ने फर्रुखाबाद का नाम किया रोशन
फर्रुखाबाद का एक साधारण सा लड़का, जिसने 12 साल की उम्र में बड़े सपने देखने की ठानी अमन सक्सेना। खेल के प्रति जुनून और संघर्ष के बीच उन्होंने अपने जीवन का रास्ता खुद बनाया। कोच संभव जैन के मार्गदर्शन में अमन ने क्रिकेट को अपना करियर चुना और मुश्किल बचपन को पीछे छोड़ मेहनत की राह पर निकल पड़े।
अमन के पास कोई जन्मजात प्रतिभा नहीं थी, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। साल 2016 में उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया — देश की सीमाओं से परे जाकर अपने जुनून को आगे बढ़ाने का। रूस पहुंचकर उन्होंने घरेलू लीग के तीन सीज़न खेले, जहां वे लगातार शानदार प्रदर्शन करते रहे और कई शतक जड़े।
इससे पहले, वे न्यू स्पोर्ट्स, डीडी स्पोर्ट्स और टेन क्रिकेट जैसे चैनलों पर लाइव टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले चुके थे। उनके कोच संभव जैन, जो बीसीसीआई के बाद सबसे अधिक लाइव टूर्नामेंट आयोजित करने का रिकॉर्ड रखते हैं, ने उनके करियर को नई दिशा दी।
साल 2018 में अमन को रूस की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में जगह मिली, लेकिन दुर्भाग्य से पासपोर्ट खोने के कारण वे अपना पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा नहीं खेल पाए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 2019 में ECL (European Cricket League) में रूस का प्रतिनिधित्व किया।
इसके बाद आईं चुनौतियाँ — कोविड महामारी, चोटें, और रूस-यूक्रेन युद्ध। मानसिक तनाव और अवसाद के दौर से गुजरने के बावजूद, अमन ने कभी हार नहीं मानी। अपने माता-पिता और मेंटर संभव जैन से प्रेरणा लेते हुए वे फिर से खड़े हुए।
आज अमन सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक युवा उद्यमी भी हैं। वे SJ Uplift Kabaddi Pvt. Ltd. के निदेशक हैं, जिसमें उनके गुरु संभव जैन सह-निदेशक हैं। अमन उत्तर प्रदेश कबड्डी लीग (UPKL) के सह-संस्थापक भी हैं, जिसमें रचित शर्मा उनके साझेदार हैं। इस लीग का पहला सीजन सोनी लाइव, डीडी स्पोर्ट्स और फैनकोड OTT पर प्रसारित हुआ, और BARC टीआरपी रिपोर्ट के अनुसार कंपनी की कुल संपत्ति अब ₹235 करोड़ से अधिक आंकी गई है।
अब अमन अपने गृहनगर फर्रुखाबाद में युवाओं के लिए एक क्रिकेट अकादमी शुरू करने जा रहे हैं, अपने बचपन के दोस्त दानिश खान के साथ। उनका उद्देश्य है—उन प्रतिभाशाली बच्चों को अवसर देना जिन्हें सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता।
अमन सक्सेना की यह यात्रा बताती है कि अगर जुनून सच्चा हो और मेहनत निरंतर हो, तो छोटे शहरों के सपने भी दुनिया के मैदान पर लहराते हैं।
"खेलेगा फर्रुखाबाद, बदलेगा फर्रुखाबाद" — अब यह नारा सिर्फ एक सपना नहीं, एक सच्चाई बन चुका है।


