न्यूमेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जानलेवा हेटेरोटॉपिक प्रेगनेंसी का सफल इलाज, माँ और दोनों नवजात सुरक्षित

न्यूमेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जानलेवा हेटेरोटॉपिक प्रेगनेंसी का सफल इलाज, माँ और दोनों नवजात सुरक्षित

ग्रेटर नोएडा  एक्सटेंशन स्थित न्यूमेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल में हाल ही में हेटेरोटॉपिक प्रेगनेंसी जैसे अत्यंत दुर्लभ, जटिल और जानलेवा मामले का सफल उपचार करते हुए माँ और दोनों नवजात शिशुओं को नया जीवन दिया गया। इस उपलब्धि को लेकर अस्पताल परिसर में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
प्रेस वार्ता के दौरान अस्पताल के सीईओ जितेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे हॉस्पिटल में पूजा नाम की एक पेशेंट को हेटेरोटॉपिक गर्भावस्था वह स्थिति होती है, जिसमें एक गर्भ गर्भाशय के भीतर तथा दूसरा गर्भ पेट की गुहा (एब्डॉमिनल कैविटी) में विकसित होता है। उन्होंने कहा कि यह भारत का पहला रिपोर्टेड मामला है, जिसमें 29 सप्ताह और 1 दिन तक गर्भावस्था को सुरक्षित रूप से आगे बढ़ाया गया और सजीव प्रसव संभव हो सका। विश्व स्तर पर यह इस प्रकार का चौथा प्रलेखित मामला माना जा रहा है।

गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नीतू ने बताया कि हेटेरोटॉपिक गर्भावस्था के मामले अत्यंत दुर्लभ होते हैं और इनमें जोखिम कई गुना अधिक होता है। इस केस में पूजा मरीज उच्च जोखिम श्रेणी में थी। मरीज का रक्त समूह Rh-नेगेटिव था, साथ ही उसे एनीमिया, कम प्लेटलेट काउंट, लिवर और किडनी फंक्शन में गड़बड़ी तथा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का पूर्व मेडिकल इतिहास भी था। मरीज गंभीर हालत में तेज पेट दर्द और अत्यधिक रक्तस्राव के साथ अस्पताल लाई गई थी।उन्होंने बताया कि मरीज को लगभग तीन माह तक यूरिनरी कैथेटर लगाया गया था। बाहर कराए गए अल्ट्रासाउंड में इसे सामान्य जुड़वां गर्भावस्था बताया गया, जिससे सही निदान में देरी हुई और स्थिति और अधिक जटिल हो गई।
मरीज को बहु-विषयक विशेषज्ञों की टीम की लगातार निगरानी में रखा गया। हालत तेजी से बिगड़ने पर आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। सर्जरी के दौरान यह सामने आया कि पेट में विकसित गर्भ का प्लेसेंटा आंतों में असामान्य रूप से धंसा हुआ था, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था। स्थिति अत्यंत जानलेवा थी, लेकिन समय रहते किए गए शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप से मरीज की जान बचाई जा सकी।08 नवंबर 2025 को जटिल सर्जरी के दौरान प्लेसेंटा से जुड़ा आंत का एक बड़ा हिस्सा निकालना पड़ा। इसी प्रक्रिया के दौरान मरीज ने दो पुरुष शिशुओं को जन्म दिया—एक शिशु गर्भाशय के भीतर विकसित गर्भ से और दूसरा पेट में विकसित गर्भ से। डॉक्टर छवि ने बताया कि गर्भाशय में विकसित शिशु का जन्म वजन 1.4 किलोग्राम तथा पेट में विकसित शिशु का वजन 1.0 किलोग्राम था। दोनों शिशु वर्तमान में स्थिर और स्वस्थ हैं तथा नवजात गहन देखभाल में उनकी निरंतर निगरानी की गई।

अस्पताल प्रशासन के अनुसार मरीज को नवंबर माह में डिस्चार्ज कर दिया गया था और फिलहाल उसकी स्थिति संतोषजनक एवं स्थिर है। आगे के उपचार के अंतर्गत मरीज की आंतों की एनास्टोमोसिस की योजना बनाई गई है।

इस अवसर पर अस्पताल के सीईओ जितेंद्र कुमार, डॉक्टर नीतू, डॉक्टर छवि, मिस्टर अनुरुद्ध, अस्पताल पीआरओ मुस्कान शर्मा, शशि शर्मा सहित अन्य चिकित्सक एवं स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे। चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस सफल उपचार को भारतीय चिकित्सा इतिहास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।