सांस' से सुधारी जा रही जनपद वासियों की सेहत, 28 फरवरी तक चलेगा 'सांस' अभियान

सांस' से सुधारी जा रही जनपद वासियों की सेहत, 28 फरवरी तक चलेगा 'सांस' अभियान

संरक्षण, बचाव एवं उपचार से रोका जाएगा निमोनिया
“स्तनपान, समुचित अनुपूरक आहार एवं विटामिन ए सप्लीमेंटेशन, टीकाकरण, हाथ धोने की आदत और घरेलू प्रदूषण को कम किये जाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत”

नोएडा।PNI News। निमोनिया की समय से पहचान एवं उपचार से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। सामाजिक जागरूकता पैदा करने के लिए भारत सरकार द्वारा अभियान “सांस” चलाया जा रहा है। 12 नवम्बर से शुरू हुए सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूटरलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) अभियान को प्रदेशभर में 28 फरवरी (2022) तक चलाया जाएगा। निमोनिया से देशभर में पांच साल से कम आयु के 15 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार शर्मा ने बताया- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 28 फरवरी तक मनाए जाने वाले “सांस” अभियान के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उत्तर प्रदेश की निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने दिशा निर्देश जारी किये हैं। सीएमओ ने एसआरएस 2018 का हवाला देते हुए बताया- निमोनिया से पांच वर्ष तक के शिशुओं की मृत्यु दर देशभर में 36 प्रति एक हजार और उत्तर प्रदेश में 47 प्रति एक हजार जीवित जन्म है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. भारत भूषण ने बताया- सरकार का यह अभियान निमोनिया की समय से पहचान और उपचार के लिए जनमानस में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। उन्होंने बताया- संरक्षण, बचाव एवं उपचार द्वारा पांच वर्ष तक के शिशुओं में इस बीमारी से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। इसके अलावा स्तनपान समुचित अनुपूरक आहार एवं विटामिन ए सप्लीमेंटेशन, टीकाकरण, हाथ धोने की आदत और घरेलू प्रदूषण को कम किये जाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे भी मृत्युदर में कमी आएगी।
उन्होंने बताया- निमोनिया में फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है। बच्चों में निमोनिया होने के विभिन्न कारक हैं जैसे कि
कम वजन का होना (कुपोषण)
छह माह तक स्तनपान न कराया जाना
घरेलू प्रदूषण
खसरा एवं पीसीवी टीकाकरण न किया जाना
जन्मजात विकृतियां जैसे ह्रदय विकृति तथा अस्थमा निमोनिया की आशंका को बढ़ावा देते हैं।
सांस अभियान के अवयव-
सुरक्षा- शिशु के अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए जन्म के तुरंत बाद छह माह तक स्तनपान तथा छह माह के उपरांत समुचित अनुपूरख आहार, विटामिन ए दिये जाने की जरूरत है।
बचाव- शिशु का टीकाकरण एवं हाथों की स्वच्छता तथा स्वच्छ पेयजल एवं गृह प्रदूषण को दूर किया जाए।
उपचार- शिशुओं के निमोनिया का चिकित्सा इकाई स्तर पर एवं सामुदायिक स्तर पर उचित उपचार की व्यवस्था हो।
डा. भारत भूषण ने बताया-जनपद स्तर पर सांस अभियान चलाने का उद्देश्य समुदाय में जनजागरूकता लाना है, जिससे निमोनिया की समय से पहचान और उपचार हो सके। इस अभियान के अंतर्गत आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के लक्षण चिन्हित करेंगी और समुचित उपचार उपलब्ध कराएंगी।