तनाव से जुड़े संकेतों को पहचानना भी महत्वपूर्ण है - सुकृति चौहान

नोएडा। आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता फैलाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। युवा पीढ़ी हो, वृद्ध लोग हो, या फिर अब स्कूल में छात्र छात्रा सभी परेशान और स्ट्रेस में आकर सिर्फ आत्महत्या को ही समस्या का समाधान मानकर आत्महत्या कर लेते हैं। अब समय है सभी सामाजिक संगठनों, सामाजिक लोगो, चिकित्सकों और सभी समाज के सभी व्यक्तियों को की सभी एकजुट होकर आत्महत्या की रोकथाम के लिए कार्य करे।
तनाव से जुड़े संकेतों को पहचानना भी महत्वपूर्ण है।
ईटीआई की चेयरमैन सुकृति चौहान बताती है की छात्रों और युवाओं को समर्थन और सुरक्षित स्थानो की आवश्यकता है। हेल्पलाइन अनिवार्य हैं और तनाव से जुड़े संकेतों को पहचानना भी महत्वपूर्ण है। जब तक हम सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहन नहीं देंगे, तब तक आत्महत्याओं से होने वाली मौतों के दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण मौजूद रहेंगे। हमें समाधान प्रदान करने और युवा छात्रों को सुनने की सख्त जरूरत है।
समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता।
पॉलिसिमेकर फोरम फॉर मेंटल हेल्थ के अध्यक्ष डॉ दलबीर सिंह बताते हैं की अनुभव से यह पता चलता है कि परीक्षा और समकक्ष दबाव तनाव को काफ़ी बढ़ाता है। परीक्षा में फेल होने पर युवा पीढ़ी मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या को एक मात्र विकल्प मानती है जिससे वह इसके लिए अग्रसर होते है। वर्तमान में परीक्षा प्रणाली को व्यवहारिक समीक्षा की सख़्त ज़रुरत है यदि हम विश्व में आत्महत्या से प्रभावित राष्ट्र की युवा पीड़ी को बचाना चाहते है।
शिक्षा प्रणाली के कारण छात्र अधिखतम तनाव
मीरावाला हेल्थ इनिशिएटिव की सीईओ प्रीति श्रीधर बताती हैं कि हमें इन उच्च दबाव परीक्षाओं पर फिर से विचार करने और काम करने की आवश्यकता है। शिक्षा प्रणाली के कारण छात्र अधिखतम तनाव अनुभव कर रहे है। यह किसी एक छात्र की विफलता या चिंता नहीं है बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली की विफलता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि छात्रों के लिए क्या काम नहीं कर रहा है। एक समुदाय के रूप में छात्र किन तनावों का अनुभव करते हैं? हमें युवाओं में आत्महत्या द्वारा मौतों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति की जरूरत है।