आर्य समाज का त्रिदिवसीये वार्षिकोत्सव धूमधाम से संपन्न

आर्य समाज का त्रिदिवसीये वार्षिकोत्सव धूमधाम से संपन्न

प्रत्येक नागरिक राष्ट्र रक्षा के काम में लगे तब कहीं राष्ट्र की रक्षा होगी-सुचिषद् मुनि

गाजियाबाद। आर्य समाज लाजपत नगर का 35 वां त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव धूमधाम से संपन्न हुआ।महायज्ञ वैदिक विद्वान डा विष्णु दत्त के ब्रह्मत्व में संपन्न हुआ।उन्होंने यज्ञ महिमा एवं वेद महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि पंच महायज्ञ एवं वेद मार्ग पर चलने से ही मानव कल्याण सम्भव होगा।मुख्य यज्ञमान श्रीमती पूनम एवं डा विजेंद्र महैदीयान रहे।

समारोह के मुख्य अतिथि डा वीके सिंह (मंत्री, भारत सरकार) ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान की ओर आयोजकों का सुंदर आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा मानना है इस यज्ञ (परोपकार) के कार्य को जितना आगे बढ़ाएंगे उतना समाज का भला होगा।हमने अभी विश्व के कल्याण की,अपने कल्याण की, निरोगी रहने की प्रार्थना की है।यही भाव मन में रखियेगा ताकि आप जहां जाएं आपकी आभा से आपके विचारों से लोग अच्छे बने,समाज अच्छा बने,देश अच्छा बने।

बिजनौर से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पं. कुलदीप आर्य एवं साथी कलाकारों ने ईश्वर भक्ति एवं राष्ट्रभक्ति गीतों से समाबांध दिया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।

राष्ट्र में आर्य समाज की भूमिका विषय का सत्र श्रद्धानंद शर्मा की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ। वेद वक्ता सूचिषद् मुनि ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र में आर्य समाज की भूमिका शुरू से रही है।राष्ट्र के पुरोहित हम बनें और राष्ट्र रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहें प्रत्येक नागरिक राष्ट्र रक्षा के काम में लगे तब कहीं राष्ट्र की रक्षा होगी चारों वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। चारों को अपने शरीर में घटाया और बताया कि मुख् मंडल ब्राह्मण,बाजू क्षत्रिय, उदर वैश्य और पैर शूद्र यदि पैर ना हों तो तीनों नहीं ठहर सकते हैं शूद्र अछूत नहीं है ऋषि दयानंद इन्हें ऊंचा उठाया और आर्य समाज को आदेश दिया कि इन्हें हेयदृष्टि से मत देखना वेद ने मनुष्य को चार भागों में बांटा है।ब्राह्मण सही दिशा ना देगा तो लोग भटक जाएंगे क्षत्रिय रक्षा ना करें तो लोग लड़ लड़ के मर जाएंगे राष्ट्र की रक्षा चारों मिलकर करें। जनता को राष्ट्र कहते हैं सभी को साथ लेकर चलना है हम अपने लिए ना जिएं अपितु सब के कल्याण के लिए जिएं।

वैदिक विद्वान डा जयेन्द्र आचार्य (कुलपति आर्ष गुरुकुल नोएडा) ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमने इतिहास में विभिन्न युद्ध पढ़े हैं लेकिन स्वामी दयानंद ने पहली बार अज्ञान के खिलाफ अंतहीन युद्ध शुरू किया था,उन्होंने कहा इंसान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान है,अविद्या है,इसलिए अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।स्वामी दयानंद चाहते थे दुनियां में वेद का पठन-पाठन हो, शास्त्र के बिना तर्क खोखला होता है,सत्य की कोई मेरिट नहीं होती इसलिए आपने सूर्य बनना है तभी अंधेरा मिटेगा।उस कुशल वैघ ने भारत की बीमारी को पहचाना और उसका इलाज किया शास्त्र, तर्क विज्ञान और फिर सत्य को खोजा।महर्षि दयानंद इस धरती पर सत्य का प्रचार चाहते थे और इसके लिए उन्होंने गुरु मंत्र दिया है सत्य के ग्रहण और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रद्धानंद शर्मा ने कहा कि देश की सत्ता  आठ नो वर्षो से ऐसे लोगों के हाथ में है जो देश की सीमाओं को सुरक्षित करने में लगे हैं आधुनिक टेक्निक से सीमाओं पर काम हो रहा है ड्रैगन हो या कोई और इधर हिम्मत नहीं पड़ेगी आंख उठाकर देखने की समृद्धि शक्ति भी विश्व में हमारी सर्वोपरि है पश्चिमी सीमा हमारी और आंख उठा कर देख नहीं सकती। आज हमें अपने गौरवशाली इतिहास को अपनी नई जनरेशन को पढ़ाने की आवश्यकता है,बच्चों को संस्कारित करने की आवश्यकता है,तभी राष्ट्र सुरक्षित रह पाएगा।

समारोह में सर्वश्री सत्यवीर चौधरी,प्रमोद चौधरी,आचार्य ओम पाल शास्त्री एवं पार्षद प्रमोद राघव,प्रवीण भाटी आदि ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री राम निवास शास्त्री,डा प्रमोद सक्सैना,प्रवीण चंद गुप्ता, सुरेश आर्य,राज कुमार आर्य, चौधरी वेद राम,रामोतार आर्य, वीके धामा,त्रिलोक शास्त्री,सतीश आर्य,डा उषा आर्या,कविता राठी, कुसुम लता,आशा मालिक आदि उपस्थित रहे।

मंच का कुशल संचालन प्रधान जगवीर सिंह ने किया।उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।

शांतिपाठ एवं ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।