प्रेम प्रसंगों, विवाहों एवं लिव इन रिलेशंस में बलात्कार व हत्या 

प्रेम प्रसंगों, विवाहों एवं लिव इन रिलेशंस में बलात्कार व हत्या 

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला विंग की चौतरफा मुहिम... कठोरतम सजा, संस्कारी शिक्षा, महिला सम्मान व नौनिहालों की तरबियत पर ज़ोर 


नई दिल्ली। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने प्रेम प्रसंगों में बलात्कार, घरेलू हिंसा, महिलाओं के खिलाफ संगीन अपराध पर चिंता जताई है। साथ ही मंच ने मांग की है कि दुष्कर्मों और हत्याओं के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान होना चाहिए। मंच का यह भी मानना है कि समाज को चाहिए कि वो न केवल बेटियों को पढ़ाएं बल्कि बेटों की मानसिक परवरिश भी ऐसी करें की वो इंसान बने, वहशी दरिंदे नहीं। मंच का मानना है कि वैसी शिक्षा जिसमें संस्कार का सरोकार न हो बेकार है। मंच का कहना है कि परवरिश के साथ परिवेश बदले जाने और समावेशी होने की जरूरत है।

मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि मंच का उद्देश्य एक नए, सफल, सुखद व श्रेष्ठ भारत के लिए जनमानस तैयार करना है। फलस्वरूप, हिंदुस्तान में हो रही ऐसी घटनाओं के मद्देनजर मंच की महिला विंग देश के कोने कोने में जनता को जागरूक करने के लिए मुहिम में लगी है। सरकार से ऐसी घटनाओं के खिलाफ कठोरतम सजा दिए जाने के लिए कानून बनाए जाने की मांग भी की गई है। 

 इस बात पर भी ज़ोर दिया जा रहा है कि मां, बहनों और बेटियों की इज्जत, सम्मान व संस्कार का पाठ सही से पढ़ाया जाए। मंच के कार्यक्रमों की रूपरेखा बताते हुए मीडिया प्रभारी ने बताया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला विंग देश में चौतरफा आंदोलन चला रही है।

 दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में राष्ट्रीय संयोजिका शालिनी अली और शहनाज अफजल के नेतृत्व में टीम जनजागरण अभियान को मजबूती देने में लगी है। शालनी और शहनाज के अधीन लंबी चौड़ी टीम जनमानस में बदलाव के लिए अथक प्रयास में जुटी है। इस टीम में लखनऊ से निखत परवीन भी हैं। 

राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में राष्ट्रीय संयोजिका रेशमा हुसैन की अध्यक्षता में ये कारवां आगे बढ़े रहा है जिसमें दिल्ली से निशा जाफरी भी शामिल हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में रिजवी सुलताना के नेतृत्व में जनजागरण अभियान की शुरुवात हुई है।

 आंध्र प्रदेश और तेलेगाना में फातिमा खान ने मोर्चा संभाला हुआ है। बेंगलुरु में नफिजा झाकी और महाराष्ट्र में शारिका कुरैशी और नाहिद शेख के नेतृत्व में योजना को अंजाम देने की कोशिश हो रही है जबकि गुजरात में फिरोजा मुमताज मलिक के नेतृत्व में अभियान को गति देने का प्रयास हो रहा है। 

मंच की राष्ट्रीय संयोजिकाओँ, सह संयोजिकाओं, क्षेत्रीय संयोजिकाओं, सह संयोजिकाओं एवं कार्यकर्ताओं का स्पष्ट रूप से मानना है कि इस्लाम धर्म में बताया गया है कि मां के कदमों में जन्नत होती है। इसी तरह हिंदू धर्म में कन्या पूजन किया जाता है, जिसकी बड़ी मान्यता है।

कुल मिला कर विभिन्न धर्मों में अलग अलग रूप से हर जगह मान सम्मान और मर्यादा रखने की बातें हैं। अर्थात जब कोई भी मजहब, धर्म, समुदाय या जाति महिलाओं, लड़कियों एवं बच्चियों के खिलाफ अमानवीय नहीं पढ़ाता है तो फिर क्यों आफताब जैसे चंद लोग दरिंदा बन कर इंसानियत को शर्मसार करने और अपने धर्म के दुश्मन बनने पर आमादा हो जाते हैं! 

 इन्ही सब विषयों पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला इकाई देश में जागरूकता अभियान चला रही है जिसके तहत हर समुदायों, वर्गों, जातियों, छात्र, छात्रों, बुद्धिजीवियों एवं धर्म गुरुओं के साथ डायलॉग प्रोसेस किया जा रहा है। 

गौरतलब है कि 26 साल की श्रद्धा मुंबई के मलाड में एक कॉल सेंटर में काम करती थी जहां उसकी आफताब से मुलाकात हुई। दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई, लिव-इन में रहने लगे। जब प्रेम प्रसंग की जानकारी परिजनों को लगी तो उन्होंने विरोध किया। इसके बाद दोनों अचानक मुंबई छोड़ दिल्ली में आकर रहने लगे। आगे क्या हुआ यह सभी को मालूम है, जो हृदय विदारक और शर्मसार करने वाली घटना है। इसी प्रकार दिल्ली की आयुषी बड़ी बेरहमी से ऑनर किलिंग की शिकार बन जाती है। आयुषी के सीने में गोली मार के शव को सूटकेस में फेंक दिया जाता है। 

मीडिया प्रभारी शाहिद ने बताया कि विवाह चाहे अरेंज मैरेज हो या लव मैरिज या फिर लिव इन रिलेशनशिप का ही मामला क्यों न हो, माता पिता को बच्चों से इतनी दूरी कभी नहीं बनानी चाहिए कि श्रद्धा या आयुषी जैसी बच्चियों का जीवन समाप्त हो जाए। उन्होंने आंकड़े रखते हुए बताया कि भारत में हर साल लगभग 7000 दहेज हत्याओं की FIR होती है, जबकि यह सर्व विदित है कि अधिकांश मामलों की तो FIR भी नहीं हो पाती है। 

उन्होंने कहा कि देश में अधिकांश शादियां अपने धर्म, जाति में अरेंज होती हैं। सभी तरह के मंत्रोच्चार और कुंडली मिला कर होती है फिर भी कई शादियां टूट जाती हैं। इसी तरह मुस्लिम धर्म के अनुसार "जंत्री" देख कर ताल मेल बिठा कर शादी की जाती है। निकाह और दुआएं पढ़ी जाती हैं लेकिन ये सब इस बात कि गारेंटी नहीं होती है कि शादी में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। इसका मतलब यह कतई नहीं होना चाहिए कि एक पक्ष दूसरे पक्ष की निर्ममता के साथ हत्या कर दे! बेटियां ईश्वर की दी हुई अनमोल वरदान होती हैं जो पुरुषों के लिए जन्नत जाने का दरवाजा खोलती हैं।