हिंदी पखवाड़ा पर हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं व्याख्यान संगोष्ठी का भव्य आयोजन

हिंदी पखवाड़ा पर हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं व्याख्यान संगोष्ठी का भव्य आयोजन

नोएडा। साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन एवं भारतीय एकता सद्भावना मिशन के संयुक्त बैनर तले बरोला नोएडा, सेक्टर - 49, स्थित साहित्य सदन के काव्य भवन सभागार में हिंदी पखवाड़ा पर भव्य व्याख्यान संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ, कार्यक्रम की अध्यक्षता एस.पी.गौड़ ने की, तथा कुशल संचालन अटल मुरादाबादी ने किया। डी.डी.आर.डब्ल्यू.ए. के अध्यक्ष एन.पी. सिंह मुख्य अतिथि एवं आम आदमी पार्टी के यूथ विंग प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व प्रत्याशी पंकज अवाना विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

फेडरेशन के चेयरमैन एवं भारत सरकार के पूर्व राजपत्रित अधिकारी पंडित साहित्य कुमार चंचल ने बताया कि इस तरह के आयोजन का मुख्य एवं मूल उद्देश्य अपनी हिंदी राजभाषा के अस्तित्व को बचाना एवं अंग्रेजी युग में हिंदी के उत्थान हेतु आज की युवा पीढ़ी को जागरूक करना है।

कार्यक्रम  के प्रथम चरण में हिंदी के सुविख्यात शिक्षाविद साहित्यकार डॉ. इला जायसवाल, डॉ. राजपाल सिंह यादव, विनय विक्रम सिंह, बाबा कानपुरी ने वक्ता के रूप में हिंदी के महत्व पर अपने-अपने विचार रखे l  जबकि दूसरे चरण कवि सम्मेलन में देश के प्रसिद्ध कवियों ने अपनी काव्य धारा प्रवाहित कर कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की ।

काव्य भवन सभागार में उपस्थित सुधी श्रोतागणों की तालियों की गड़गड़ाहट कार्यक्रम  की सफलता को स्पष्ट तौर पर बयां कर रही थी। सभी कवियों को विधिवत स्वागत कर फेडरेशन के चेयरमैन द्वारा सम्मानित भी किया गया |्रस काव्य पाठ के अंतर्गत दो दर्जन कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएं सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिल्ली से पधारी डॉ. नेहा इलाहाबादी ने कुछ इस तरह बयां किया - किसी से भी दिखावे की मोहब्बत हम नहीं करते ,कभी भी मातृभूमि से बगावत हम नहीं करते।

बुलंदशहर से पधारे देश के ओज के कवि कमांडो समोदा चरौरा ने कहा - दो दिलों की कहानी रहे ना रहे, आशिकी में रवानी रहे ना रहे, देश के नाम कर दो इसे आज ही, क्या पता कल जवानी रहे ना रहे | डॉक्टर इला जायसवाल ने नारी की स्थिति को कुछ इस तरह व्यक्त किया - हर बेटी यूं तो अपनी किस्मत लेकर आए, पर इस किस्मत के धागे दूजे से बंद के आए। उन्नाव की मधुर गीतकार मीनाक्षी दिनेश कुमार ने शृंगार रस में कुछ इस तरह पढ़ा कि - मैं सिया बन धरा में समा जाऊंगी, राम बनकर मुझे तुम अमर तो करो।

गाजियाबाद से आए हास्य व्यंग्यकार विनोद पांडे ने कुछ इस तरह गुदगुदाया - अगर हम बेचते सपने तो लायक बन गए होते,  अदाकारी दिखाते और नायक बन गए होते |  फेडरेशन के चेयरमैन कवि पंडित साहित्य कुमार चंचल ने अपना कवि धर्म का पाठ पढ़ाते हुए कहा - लेखक व कवि होने का मैं अपना धर्म निभाता हूं , अपने लेखन में पीड़ित व शोषित का मर्म दिखाता हूं।

इसके अलावा हास्य के दिग्गज कवि सुनहरी लाल वर्मा तुरंत, अटल मुरादाबादी, बाबा कानपुरी, उपेंद्र फतेहपुरी, ओमपाल गौड़, स्वदेश चरोरा, सविता सिंह 'शमा', अंजलि सिसोदिया, सुंदर सिंह, मुकेश दक्ष, जे.पी. रावत, ताबिश खैराबादी, सतीश दीक्षित, एवं सुमित अग्रवाल आदि दो दर्जन कवियों ने भिन्न-भिन्न रसों में अपना काव्य पाठ कर सभी को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम देर रात लगभग 6 घंटे तक चला, अंत में फेडरेशन की सचिव प्रिया मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन किया।